भोपाल।सरकार दावे कर रही है कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। ऑक्सीजन की उपलब्धता और कमी को लेकर हर रोज नए-नए आंकड़े बताए जा रहे हैं, लेकिन सरकार के दावों पर हाॅस्पिटल प्रबंधन और ऑक्सीजन सिलिंडर लेने के लिए लग रही लाइनें सरकार के दावों पर सवाल खड़े कर रही हैं. राजधानी भोपाल में यह हाल है कि हाॅस्पिटल संचालकों को 24-24 घंटे मशक्कत करनी पड़ रही है, उसके बाद भी उन्हें डिमांड से कम ही सिलेंडर मिल पा रहे हैं।
भोपाल में डिमांड से कम हो रही है ऑक्सीजन सप्लाई एंबुलेंस से ढ़ोए जा रहे हैं ऑक्सीजन सिलेंडर
भोपाल के आरआर हाॅस्पिटल के संचालक राहुल बताते हैं कि एक एम्बुलेंस सिर्फ ऑक्सीजन सिलेंडर ढ़ोने के काम में लगा रखी है.कल रात चार बजे तक लाइन में लगने के बाद सिर्फ 2 सिलेंडर मिले शाम 4 बजे फिर दो सिलेंडर मिले, जबकि हमारे पास कोविड के दस पेशेंट हैं.अधिकारियों से ऑक्सीजन उलब्ध कराने को कहो, तो वे हाथ खड़े कर देते हैंं. कुछ ऐसा ही हाल गोविंदपुरा के भार्गव ट्रेडर्स पर सुबह से ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजार कर रहे कमलेश राणे का भी यही हाल है. हर दिन 20 से 24 सिलेंडर की डिमांड होती है, लेकिन सुबह से शाम तक घूमने पर 5 सिलेंडर ही मिल पा रहे हैं जो डिमांड से काफी कम हैं.
दावों में कितना दम ? नहीं होने देंगे ऑक्सीजन, बेड, दवा की कमी
स्टेबल पेशेंट ही रख रहे हाॅस्पिटल
ऑक्सीजन की कमी के चलते कई प्राइवेट हाॅस्पिटल ने कोरोना के गंभीर मरीजों को एडमिट करने से ही मना करना शुरू कर दिया है। हाॅस्पिटल सिर्फ ऐसे मरीजों को ही रख रहे हैं, जिनकी हालत स्थिर बनी हुई है और जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत नहीं हैं। कमलेश राणे कहते हैं कि मरीजों के लिए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर(ओसीएम) मंगाए गए हैं, ताकि आपात स्थिति में उसकी मदद ली जा सके। एम्पायर हाॅस्पिटल के डाॅ. आदिल कहते हैं कि जरूरत से आधे सिलेंडर मिलने की वजह से कई मरीजों को रैफर तक करना पड़ रहा है.
जिम्मेदार बोले जिनती डिमांड , उतनी ही सप्लाई
भोपाल में करीब 80 हाॅस्पिटल्स को कोविड हाॅस्पिटल बना दिया गया है। इसकी वजह से ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ती जा रही है। भोपाल में आईनाॅक्स, एनर्ट गैस, मंडीदीप, भारती ट्रेडर्स, गोविंदपुरा और बीएचईएल ऑक्सीजन की सप्लाई कर रहे हैं। इनमें से भारती ट्रेडर्स हर रोज 6 से 7 मेट्रिक टन और बीएचईएल ने पिछले दो दिनों से 2 मेट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू किया है। वहीं भोपाल के डिप्टी कलेक्टर राजेश गुप्ता कहते हैं कि शहर में करीब 50 मेट्रिक टन ऑक्सीजन की डिमांड है और लगभग इतनी ही सप्लाई हो रही है. हालांकि वे मानते हैं कि कोरोना केस बढ़ने पर ऑक्सीजन की सप्लाई को लेकर चुनौती और बढ़ सकती है।