भोपाल की सड़को पर करणी सेना की हुंकार भोपाल। करणी सेना के कार्यकर्ता अपनी मांगों को लेकर अब सड़कों पर उतर आए हैं. भोपाल के जंबूरी मैदान में रात भर बैठे कार्यकर्ता दोपहर में बोर्ड ऑफिस चौराहे की ओर मार्च करते हुए निकल पड़े. (Bhopal Karni Sena Protest) बड़ी संख्या में कार्यकर्ता रास्ते में पहुंचे तो पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक दिया. महात्मा गांधी चौराहे के पास पुलिस ने बैरिकेडिंग कर दी जिसके विरोध में तमाम कार्यकर्ता चौराहे पर ही धरने पर बैठ गए हैं और नारेबाजी कर रहे हैं. प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब तक मांगें पूरी नहीं होती यह हटने वाले नही हैं.
करणी सेना की मांग: जातिगत आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट में बदलाव की मांग सहित 21 सूत्री मांगों को लेकर भोपाल में जुटे करणी सेना के पदाधिकारियों ने भूख हड़ताल भी शुरू कर दी थी. आंदोलन स्थल पर ही इन्होंने यह हड़ताल शुरू की थी. कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार उनकी मांगों पर जल्द निराकरण करे. अगर इनकी मांगे मान ली जाती है तो ठीक है अन्यथा यह पूरे देश में भी किया जाएगा. करणी सेना के प्रदेश प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर ने चेतावनी देते हुए कहा कि उनकी मांगे बार-बार ठंडे बस्ते में डाल दी जाती हैं लेकिन इस बार वह अपनी मांगों पर अडिग हैं. मध्यप्रदेश के साथ ही राजस्थान छत्तीसगढ़ दिल्ली पंजाब आदि राज्यों से भी लोग प्रदर्शन में शामिल हुए हैं.
सत्ता पलटने की चेतावनी: करणी सेना का कहना है कि हम वही माई के लाल हैं जिन्होंने 2018 में सत्ता का परिवर्तन किया था और सरकार हमें दबाने का प्रयास करेगी तो हम 2023 में भी सरकार परिवर्तन करने में सक्षम हैं. (Bhopal Karni Sena hunger strike) करणी सेना का कहना है हमारे आंदोलन को दबाने के लिए सरकार ने अपने अनुवांशिक संगठनों की मदद से ले रही है. ETV Bharat से बात करते हुए जीवन सिंह शेरपुर ने कहा कि सरकार उनकी मांगे जब तक नहीं मानती तब तक वह भूख हड़ताल पर रहेंगे. इसके लिए उनके प्राण तक चले जाएं, लेकिन उनका आंदोलन जारी रहेगा.
करणी सेना की चेतावनी, कहा- हम वही माई के लाल 18 में किया था सत्ता परिवर्तन 2023 दूर नहीं
आंदोलन को दबाने का प्रयास: इस आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए आए गुजरात से राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राज शेखावत का कहना है कि यह स्थिति देश में है कि उनके अधिकारों को दबाया जा रहा है. चाहे बात मध्य प्रदेश की हो या गुजरात की. वह गुजरात से आते है और वहां भी यही स्थिति है. महिपाल सिंह मकराना ने कहा कि सभी राजपूत एकजुट हैं भले ही सरकार उनको दबाने के लिए कुछ संगठनों को बुलाकर इस आंदोलन को कमजोर करने की बात करें लेकिन, यहां मौजूद संख्या को देखकर आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि उनका आंदोलन और राष्ट्रीय स्तर का हो गया है.