भोपाल।राजधानी में साल 1984 में यूनियन कार्बाइड हादसे के पीड़ितों के संगठनों ने शनिवार को बच्चों के लिए मुआवजे की मांग की है. गैस पीड़ित संगठनों ने गैस कांड में प्रभावित हुई अगली पीढ़ी के लिए भी मुआवजे की मांग की है. उनका कहना है कि गर्भ में जो बच्चे थे, वह भी आगे चलकर पीड़ित हुए हैं. ऐसे में उन्हें भी इसका मुआवजा मिले. हाल ही में प्रकाशित हुए वैज्ञानिक अध्ययन पर एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसे लेकर अब संगठन फिर से इस मामले में शोध करवाने की बात कर रहा है. (Bhopal gas disaster)
यूनियन कार्बाइड से अगली पीढ़ी को नुकसान: भोपाल गैस कांड के समय जो बच्चे अपनी मां के गर्भ में थे, उनमें कैंसर होने की आशंका 8 गुना अधिक थी. सामान्य बच्चों की तुलना में इन बच्चों में विकलांगता और शिक्षा का स्तर निम्न था. कई अध्ययन में यह भी सामने आया कि हादसे के समय कारखाने से 120 किलोमीटर दूर रहने वाले लोगों पर भी हादसे का प्रभाव पड़ा है. भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा कि "यह वैज्ञानिक प्रकाशन राज्य और केंद्र की सरकारों के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए. शोध में जो निष्कर्ष है वो सरकारी एजेंसियों के आंकड़ों पर आधारित है. सरकार ने यूनियन कार्बाइड पर मुकदमा चलाने का अधिकार छीन लिया है. अगर सरकारें यूनियन कार्बाइड से अगली पीढ़ी को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए कानूनी कदम नहीं उठाती हैं तो यह उस वादे के साथ विश्वासघात होगा.''
अगली पीढ़ी के साथ विश्वासघात:रचना ढींगरा ने आगे कहा "दूसरी बात जब भारत सरकार ने गैस पीड़ितों के सारे कानूनी हक और उनके सारे मुआवजे के हक ले लिए थे, इसलिए भारत सरकार की जिम्मेदारी है कि यह शोध के नतीजे जो कि अब बताते हैं कि गैस पीड़ितों की अगली पीढ़ी में भी इतनी ही समस्याएं हैं तो इसकी भरपाई के लिए यूनियन कार्बाइड और डाव केमिकल कंपनी से उचित मुआवजा लें. ऐसा न करना गैस पीड़ितों की अगली पीढ़ी के साथ विश्वासघात होगा."