भोपाल। हिंदी पंचांग के अनुसार, हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत(Bhaum Pradosh Vrat 2021 June) रखने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भौम प्रदोष व्रत में भगवान शिव के साथ हनुमान जी की भी पूजा करनी चाहिए. कहते हैं कि ऐसा करने से भगवान शिव और हनुमान जी भक्त की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं. प्रदोष व्रत में व्रत कथा का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन व्रत कथा पढ़ने या सुनने से भगवान शंकर (Shiv parvati puja) की विशेष कृपा प्राप्त होती है. 22 जून को भौम प्रदोष व्रत रखा जा रहा है.
भौम प्रदोष व्रत का मुहूर्त (Bhaum Pradosh Shubh Muhurat)
- ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि आरंभ- 22 जून 2021 दिन मंगलवार को सुबह 10 बजकर 22 मिनट से
- ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि समाप्त- 23 जून 2021 दिन बुधवार को प्रातः 6 बजकर 59 मिनट पर
- प्रदोष काल पूजा समय- शाम 07 बजकर 22 मिनट से रात्रि 09 बजकर 23 मिनट
भौम प्रदोष का महत्व (Significance of Bhaum Pradosh 2021)
मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है. इस व्रत का महात्मय मंगलवार को होने से और अधिक बढ़ जाता है. इस दिन भगवान शिव के साथ हनुमान जी का पूजन भी किया जाता है. इस व्रत से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. कर्ज से मुक्ति मिलती है. पुराने से पुराने रोग का नाश होता है. शौर्य-बल में वृदि्ध होती है. जिन जातकों की कुंडली में मंगल खराब होता है, उन्हें विशेष तौर पर ये व्रत करना चाहिए.
त्रयोदशी तिथि को बन रहे हैं ये शुभ योग (Shukla Paksh Triyodashi Shubh Yog)
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर सिद्धि व साध्य योग बन रहे हैं। इन दोनों योगों में कोई भी कार्य करने से उसमें सफलता प्राप्त होती है। मांगलिक कार्यों के लिए ये योग बेहद शुभ मानें जाते हैं। इस दिन दोपहर 1 बजकर 52 मिनट तक सिद्धि योग रहेगा। इसके बाद साध्य योग लग जाएगा। इस दिन विशाखा और अनुराधा नक्षत्र हैं। ये दोनों नक्षत्र भी ज्योतिष में शुभ माने जाते हैं। इस दिन दोपहर 02 बजकर 23 मिनट तक विशाखा नक्षत्र रहेगा। इसके बाद अनुराधा नक्षत्र लग जाएगा।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
- त्रयोदशी तिथि को प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करके भगवान का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- अब पूजा स्थान पर दीप प्रज्वलित करें और फल फूल अर्पित करें।
- संध्या के समय स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। आप मंदिर में जाकर पूजन कर सकते हैं।
- यदि मंदिर नहीं जा सकते हैं तो घर पर ही रेशमी कपड़े से मंडप सजाएं और शिवलिंग स्थापित करें।
- भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें और चंदन लगाएं।
- धूप-दीप प्रज्जवलित करें और शिव जी को उनकी प्रिय चीजें धतूरा, भांग, बेलपत्र आदि अर्पित करें।
- फल, फूल नैवेद्य से भगवान शिव के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें।
- इसके बाद वहीं पर बैठकर शिव चालीसा या मंत्र जाप करें।
भौम प्रदोष व्रत कथा (Bhaum Pradosh Vrat Katha)
एक समय की बात है. एक स्थान पर एक वृद्ध महिला रहती थी. उसका एक बेटा था. वह वृद्धा हनुमान जी की भक्त थी. हमेशा हनुमान जी (Hanuman) की पूजा (puja ) विधिपूर्वक करती थी. मंगलवार को वह हनुमान जी की विशेष पूजा करती थी. एक बार हनुमान जी ने अपने भक्त उस वृद्धा की परीक्षा लेनी चाही.
वे एक साधु का वेश धारण करके उसके घर आए. उन्होंने आवाज लगाते हुए कहा कि कोई है हनुमान भक्त, जो उनकी इच्छा को पूर्ण कर सकता है. जब उनकी आवाज उस वृद्धा के कान में पड़ी, तो वह जल्दी से बाहर आई. उसने साधु को प्रणाम किया और कहा कि आप अपनी इच्छा बताएं. इस पर हनुमान जी ने उससे कहा कि उनको भूख लगी है, वे भोजन करना चाहते हैं, तुम थोड़ी सी जमीन लीप दो. इस पर उसने हनुमान जी से कहा कि आप जमीन लीपने के अतिरिक्त कोई और काम कहें, उसे वह पूरा कर देगी.
हनुमान जी (Bhaum Pradosh Vrat Katha) ने उससे अपनी बातों को पूरा करने के लिए वचन लिया. तब उन्होंने कहा कि अपने बेटे को बुलाओ. उसकी पीठ पर आग जला दो. उस पर ही वे अपने लिए भोजन बनाएंगे. हनुमान जी की बात सुनकर वह वृद्धा परेशान हो गई. वह करे भी तो क्या करे. उसने हनुमान जी को वचन दिया था. उसने आखिरकार बेटे को बुलाया और उसे हनुमान जी को सौंप दिया.
हनुमान जी ने उसके बेटे को जमीन पर लिटा दिया और वृद्धा से उसकी पीठ पर आग जलवा दी. वह वृद्धा आग जलाकर घर में चली गई. कुछ समय बाद साधु के वेश में हनुमान जी ने उसे फिर बुलाया. वह घर से बाहर आई, तो हनुमान जी ने कहा कि उनका भोजन बन गया है. बेटे को बुलाओ ताकि वह भी भोग लगा ले. इस पर वृद्धा ने कहा कि आप ऐसा कहकर और कष्ट न दें. लेकिन हनुमान जी अपनी बात पर अडिग थे. तब उसने अपने बेटे को भोजन के लिए पुकारा. वह अपनी मां के पास आ गया. अपने बेटे को जीवित देखकर वह आश्चर्यचकित थी. वह उस साधु के चरणों में नतमस्तक हो गई. तब हनुमान जी ने उसे दर्शन दिया और आशीर्वाद दिया.