भोपाल। कोरोना संकट के समय जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने हड़ताल कर दी हैं. पूरे प्रदेश के लगभग तीन हजार जूनियर डॉक्टर्स अपनी मांगों को लेकर लामबंद हो गए हैं, जिससे गांधी मेडिकल कॉलेज सहित स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं. इसके विकल्प के तौर पर प्रशासन की ओर से संभाग के जिलों से आयुष और बीयूएमएस डॉक्टरों को हमीदिया अस्पताल बुलाया गया हैं.
जीएमसी के डीन डॉक्टर जितेन शुक्ला ने बताया कि पूरे संभाग से आठ जिलों में काम कर रहे आयुष डॉक्टर्स के साथ बीयूएमएस, बीएचएमएस, यूएमओ, एएमओ चिकित्सकों को बुलाया गया हैं. जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के चलते अब इन चिकित्सकों की ड्यूटी कोविड वार्ड में लगाई जाएगी. हालांकि इनकी मॉनिटरिंग के लिए सीनियर चिकित्सक मौजूद रहेंगे, जो इन्हें रूटीन और ओपीडी कार्यों के लिए निर्देशित करेंगे. वहीं संभाग के अलग-अलग जिलों से आए चिकित्सकों ने बताया कि उन्हें केवल चर्चा के लिए यहां बुलाया गया था. कलेक्टर ने रविवार को आदेश दिया था. इसके बाद हम सोमवार को यहां पहुंचे थे. हमारी ड्यूटी हमीदिया में लगाई गई हैं.
जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के चलते हमीदिया में मरीजों के इलाज में परेशानी आने लगी थी. प्रशासन द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर संभाग के आठ जिलों से आयुष चिकित्सकों के साथ अन्य पद्धति के चिकित्सकों को भी बुलाया गया हैं. भोपाल, रायसेन, होशंगाबाद, राजगढ़, सीहोर, विदिशा, बैतूल और हरदा जिले से 76 चिकित्सकों को बुलाया गया हैं. इनमें से करीब 35 चिकित्सक आयुष विभाग से हैं, जिन्हें क्लीनिकल, सर्जिकल मेडिकल डॉक्टर्स के साथ काम करना होगा.
सवाल यह है कि कोविड वार्डों में भी इन चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई गई हैं. इमरजेंसी के दौरान मरीजों का इलाज इनके भरोसे ही रहेगा. ऐसे में स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियां मरीजों के सामने होंगी, क्योंकि आयुष डॉक्टर्स इमरजेंसी सेवाओं के लिए तैयार नहीं रहते हैं. उन्हें केवल रोगी को आयुर्वेदिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रशिक्षित किया जाता हैं. बहरहाल, सरकार ने जूनियर डॉक्टर्स की मांगों को मानने के बजाय यह नई व्यवस्था की हैं.