भिंड। जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटूर दूर बसे 'कमई का पुरा' गांव की अपनी अलग पहचान है. यहां हर घर में दो से अधिक दुधारू मवेशी होते हैं, लेकिन एक बूंद भी दूध बेचने की इजाजत नहीं है. किसी ने दूध बेचने की हिमाकत की, तो उसके पूरे परिवार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है या यूं कहें कि उसकी भैंस या तो भाग जाती है या फिर दूध देना बंद कर देती है.
गांव में मौजूद हरसुख बाबा के प्रति लोगों में गहरी आस्था है और दूध नहीं बचने की परंपरा सालों से चली आ रही है. इस मान्यता को लेकर गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि अगर किसी को दूध की जरूरत होती है, तो वह बिना पैसे दिए दूध ले जा सकता है. गांव के देवता जोहर सुखदेव बाबा के नाम से प्रसिद्ध हैं. उन्होंने कहा था कि गांव का दूध किसी को बेचना मत. हां, घी बेच सकते हैं, लेकिन वो भी बिल्कुल शुद्ध.