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उपचुनाव में फर्जी मतदान ! पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली पर उठे सवाल

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Published : Nov 9, 2020, 1:56 PM IST

बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही एक दूसरे पर बूथ कैप्चरिंग और फर्जी वोटिंग कराने जैसे आरोप लगा रही है, जिसका ठीकरा जिला पुलिस बल और ड्यूटी पर तैनात रहे पुलिसकर्मियों पर फोड़ा जा रहा है.

issue of fake voting did not stop
नहीं थम रहा फर्जी मतदान का मुद्दा

भिंड ।जिले में दो विधानसभाओं में हुए उपचुनाव के लिए मतदान के दिन से ही मेहगांव विधानसभा लगातार चर्चा में है जिसकी बड़ी वजह मतदान के दिन आई फर्जी डंपिंग की खबरें हैं, चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही एक दूसरे पर बूथ कैप्चरिंगऔर फर्जी वोटिंग कराने जैसे आरोपों का ठीकरा जिला पुलिस बल और ड्यूटी पर तैनात रहे पुलिसकर्मियों पर फोड़ रही है.

28 विधानसभा सीटों पर 3 नवंबर को हुए उपचुनाव के मतदान में मेहगांव और गोहद विधानसभा की सीट भी शामिल है. गोहद में 3 नवंबर हुए मतदान के दौरान शांति पूर्वक मतदान हुआ, तो वहीं मेहगांव विधानसभा में ठाकुर बाहुल्य क्षेत्रों में खासकर मानहढ़, खोकीपुरा, सोनारपुरा, चंदावली, कोट जैसे तमाम गांव से फर्जी मतदान की खबरें सामने आईं थी. यहां तक कि लिलोई गांव में तो मतदान केंद्र पर ईवीएम तोड़ने का भी मामला सामने आया.

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इन तमाम घटनाओं को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया ने ईटीवी भारत को दिए अपने एक इंटरव्यू के दौरान मेहगांव में हुई उन तमाम घटनाओं के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताया था, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व विधायक हेमंत कटारे ने भी भिंड पुलिस पर तमाम आरोप लगाए और सरकार के दबाव में बीजेपी का एजेंट बनकर फर्जी वोटिंग और डंपिंग के साथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों पर फर्जी मुकदमे दायर करने तक के आरोप लगाए हैं.

पुलिस की हो रही फजीहत
इन आरोपों की वजह से पुलिसकर्मी खुद फजीहत का शिकार हो रहे हैं. निर्वाचन कार्य में ड्यूटी पर लगे पुलिसकर्मियों पर तमाम आरोप बीजेपी कांग्रेस ने लगाए हैं, तो वहीं इन तमाम आरोपों के बाद कुछ पुलिसकर्मी न सिर्फ मतदान के दिन प्रताड़ित हुए बल्कि अपने ही विभाग के रवैए पर सवाल खड़े कर रहे हैं.

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ड्यूटी पर तैनात रहे पुलिसकर्मी को जान बचाकर भागना पड़ा
गोरमी सर्किल में मतदान के दौरान निर्वाचन ड्यूटी में लगे एसएएफ के निरीक्षक शंकर सिंह ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया, कि लगातार उन्हें सुबह से ही एक जगह से दूसरी जगह भेजा जा रहा था, उसके बाद जब उन्होंने मतदान केंद्रों में उपद्रव की खबरें सुनी, तो फोर्स की मांग की, लेकिन अधिकारियों द्वारा किसी तरह का फोर्स उन्हें नहीं दिया गया, हालांकि बाद में जब भिंड एसपी से उन्होंने बात की, तब एसपी ने उनके पास फोर्स भेजा. इसी बीच राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया का भतीजा रिंकू भी वहां आ धमका और निरीक्षक शंकर सिंह दोहरे के आगे दादागिरी करने लगा. जिसके बाद बीजेपी नेता केपी सिंह भी वहां पहुंच गए और उन्होंने घेराबंदी कर दी, जिसके बाद निरीक्षक शंकर अपनी जान बचाकर वहां से निकले, उन्होंने गोरमी थाना प्रभारी पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि उनका फोन आया था और उन्होंने कहा कि अपने पॉइंट से हट जाइए. इन सभी चीजों को लेकर निरीक्षक शंकर सिंह ने भिंड एसपी से मुलाकात कर आवेदन दिया है, उसके बाद उन्हें आपस के लोगों से ही इस बात को लेकर भी धमकी मिली है कि उन्होंने आवेदन क्यों दिया है.


महिला पुलिसकर्मी को मिल रही धमकियां
निर्वाचन कार्य में लगी एक और महिला पुलिसकर्मी उषा पांडे ने बताया कि उन्हें लगातार फोन पर धमकी मिल रही थी, कि "हम तुम्हें देख लेंगे" उषा पांडे का कहना है कि यह सभी धमकियां उन्हें सिर्फ इसलिए दी जा रही थी, क्योंकि उन्होंने फर्जी डंपिंग रोकने के लिए एक लड़के को गिरफ्तार किया था. इस संबंध में महिला पुलिसकर्मी ने सबसे पहले गोरमी थाना प्रभारी को इस बात की जानकारी दी थी, लेकिन उन्होंने कोई सुनवाई नहीं की, और वो देखने तक नहीं आए, हालांकि इस संबंध में उषा पांडे ने भिंड एसपी को आवेदन दिया है.


जहां बीजेपी कांग्रेस दोनों ही दल पुलिस पर आरोपों का ठीकरा फोड़ रहे हैं फर्जी डंपिंग कराने के आरोप गढ़ रहे हैं, वहीं पुलिस विभाग के वह कर्मचारी जो इस निर्वाचन ड्यूटी में अपना काम कर रहे थे, उन्हे अधिकारियों द्वारा ही शोषण का शिकार होना पड़ रहा है, अपनी ड्यूटी पूरी शिद्दत से करने का इनाम उन्हें लगातार धमकियों के रूप में मिल रहा है, इसके साथ ही मेहगांव विधानसभा के गोरमी थाना प्रभारी पर भी कई सवाल उठ रहे हैं. इन तमाम हालातों को लेकर कहीं न कहीं पुलिस की व्यवस्थाएं और पुलिसकर्मियों की फजीहत होती दिख रही है.

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