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भिंड की बदलती तस्वीरः संसाधनों के अभाव में भी शूटर छात्र बंदूक से लगा रहे भविष्य पर निशाना

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Published : Feb 17, 2022, 8:17 PM IST

भिंड के छात्रों ने संसाधनों के अभाव में जिले का नाम रोशन किया है. शूटिंग के क्षेत्र में छात्रों ने आगे आकर अंतराष्ट्रीय इंडो-नेपाल शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल पर कब्जा किया है. बीहड़ और बागियों के नाम से बदनाम भिंड अब खेल के क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहा है.

bhind shooter
भिंड के शूटर

भिंड।बीहड़, बन्दूक और बागियों के लिए चम्बल दशकों तक बदनाम रहा है. अंचल के जिस भिंड में मामूली बात पर गोलियां चल जाती हैं. अब वहां के युवाओं ने फिर बंदूके थामी हैं. इस बार ये हथियार किसी अपराध या बदला लेने के लिए नहीं, बल्कि बदलाव के लिए उठाए हैं. स्कूली छात्रों ने अब जिले की पहचान बदलने का बीड़ा उठाया है. सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र आज एयर राइफल शूटिंग स्पोर्ट्स में देश-प्रदेश में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी जिले का नाम रोशन कर रहे हैं. (bhind shooter)

भिंड के शूटर

आर्मी से रिटायर्ड भूपेंद्र दे रहे हैं ट्रेनिंग
जिले में करीब दो दर्जन छात्र-छात्राएं एयर राइफल शूटिंग की ट्रेनिंग ले रहे हैं. इनमें ज्यादातर बच्चे शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय क्रमांक एक और दो से हैं, जिन्हें शिक्षा विभाग में पदस्थ व्यवसायिक प्रशिक्षक सुरक्षा विषय के ट्रेनर और आर्मी से रिटायर्ड भूपेंद्र सिंह खुद ट्रेनिंग दे रहे हैं. बच्चों की मेहनत और प्रशिक्षक भूपेंद्र सिंह की ट्रेनिंग का नतीजा है कि, बीते साल पहले संभाग स्तर पर आयोजित शूटिंग प्रतियोगिता में बच्चों ने अच्छा प्रदर्शन किया. (shooting training in bhind)

बच्चों ने नाम किया रोशन
शूटिंग प्रतियोगिता के तहत पूरे एमपी में किसी सरकारी स्कूल से पहली बार 22 बच्चे प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने पहुंचे थे. इसे अचीवमेंट इसलिए कहा जा सकता है, क्योंकि यह असंभव सा कार्य था. इस प्रतियोगिता में बड़े बैनर वाले स्कूल्स के बच्चे थे. शॉट गन एकेडमी जैसे नारंग जी, अभिनव बिंद्रा की एकेडमी के बच्चे हिस्सा लेने पहुंचे थे. प्रतियोगिता में सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की थी कि एक छोटे से जिले के सरकारी स्कूल से इतने बच्चे चयनित हुए. (bhind student won gold medal)

गोल्ड से चमके भिंड के शूटर
इस साल जनवरी माह में ट्रेनिंग ले रहे बच्चों में से चार बच्चों ने प्रयागराज में आयोजित हुई भारतीय खेल संघ की चतुर्थ राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप में न सिर्फ हिस्सा लिया, बल्कि चारों ने अपनी विधाओं में गोल्ड मेडल भी हासिल कर प्रदेश और जिले का नाम ऊंचा किया है. यह कारवां यहीं नहीं रुका, विनीत तोमर, हर्षित यादव, जय शर्मा और हिमांशु सोनी ने नेशनल फेडरेशन ऑफ स्पोर्ट्स इंडिया की ओर से नेपाल में भाग लेते हुए अंतरराष्ट्रीय इंडो-नेपाल शूटिंग चैंपियनशिप में भी 4 गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया. यह स्पर्धा 11 से 15 फरवरी तक आयोजित हुई थी. (career in shooting range)

करियर की संभावनाएं देख रहे छात्र
एयर राइफल शूटिंग गोल्ड चैंपियन हर्षित यादव कहते हैं कि वे शूटिंग राइफल 10 एमएम में अपना करियर बनाना चाहते है. उन्हें इस बात की खुशी है कि, वे प्रयागराज में आयोजित राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में अपने तीन साथियों के साथ गोल्ड मेडल जीत कर लाये हैं. उसके बाद अब नेपाल में आयोजित अंतराष्ट्रीय इंडो-नेपाल शूटिंग चैंपियनशिप में भी देश के लिए गोल्ड मेडल जीतकर आये हैं. 10वीं की छात्रा गायत्री भारद्वाज का कहना है कि वे शूटिंग में बहुत आगे जाना चाहती हैं. हमारे देश की बेटियां हर क्षेत्र में आगे जा रही हैं. सेना में भी भर्ती होने के अवसर होते हैं .उन्होंने कहा कि वह अब शूटिंग में ही अपना करियर बनाएंगी.

भिंड में अब शूटर का होता है सम्मान
कोच भूपेंद्र सिंह कहते हैं कि उन्होंने चम्बल की बदलती तस्वीर देखी है. पहले लोग बंदूक प्रतिष्ठा के तौर पर रखते थे. उन्होंने बताया कि आर्मी के दिनों में जब वहां भी लोग पूछते थे कि कहां से हो- भिंड. नाम सुनते ही उनकी प्रतिक्रिया अलग होती थी. डाकू तक बोल देते थे. इस बात बहुत कष्ट होता था, लेकिन आज इस बात की खुशी होती है कि लोग भिंड का नाम शूटर्स को लेकर भी जानने लगे हैं.

बच्चों ने तैयार किया खुद का शूटिंग रेंज
स्कूल के साथ शूटिंग प्रैक्टिस करना एक बड़ा चैलेंज है. स्कूल की पढ़ाई भी करनी होत है. ऐसे में प्रैक्टिस का समय बहुत सीमित होता है. इसका तोड़ निकलने के लिए दर्जन भर बच्चों ने कोच के मार्गदर्शन से शहर के मीरा कॉलोनी में एक जगह किराये पर लेकर अपना खुद का शूटिंग रेंज तैयार किया. जहां वे स्कूल के बाद प्रैक्टिस करते हैं.

संसाधन मिले तो और भी बच्चे करेंगे नाम रोशन
देखा जाए तो किसी भी खेल में संसाधनों का होना बहुत आवश्यक है. भिंड में स्पोर्ट्स कोटे के लिए मिली फंडिंग का उपयोग नहीं होता है. यही कारण है कि शूटिंग के लिए बच्चों को खुद संसाधन जुटाने पड़े. शूटिंग एक महंगा खेल है. इसके लिए संसाधन भी महंगे हैं. एयर राइफल और एयर शॉट गन की कीमतें एक से डेढ़ लाख रुपये होती है. ऐसे में कुछ बच्चों ने परिवार की मदद से खुद ये राइफल खरीदी हैं. यदि खेल विभाग या शिक्षा विभाग स्पोर्ट्स कोटे से संसाधनों की उपलब्धता कराये तो और भी बच्चे खेल के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं.

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खेल में करियर की अपार संभावनाएं
भूपेंद्र सिंह कुशवाह कहते हैं कि हमारे देश मे जितना महत्व शिक्षा को दिया जाता है, उतना खेलों को नहीं. देखा जाए तो जिस तरह शिक्षा एक मंत्रालय है, ठीक वैसे ही खेल भी एक मंत्रालय है. दोनों में बराबरी की फंडिंग आती है. अगर बच्चे खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर आगे जाते हैं तो उनके करियर की अच्छी संभावनाएं हैं.

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