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आफत की बारिश ने फेरा अन्नदाता की मेहनत पर पानी, डेढ़ लाख हेक्टेयर की सरसों की फसल बर्बाद

भिंड जिले में बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है. जाते-जाते मॉनसून किसानों की महीनों की मेहनत को बर्बाद करके चला गया है, जिससे कई किसान दुखी नजर आ रहे हैं.

आफत की बारिश ने फेरा अन्नदाता की मेहनत पर पानी
आफत की बारिश ने फेरा अन्नदाता की मेहनत पर पानी

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Published : Oct 23, 2021, 10:38 PM IST

भिंड।जिले में हाल ही में हुई लगातार दो दिनों की बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया. जो किसान बोवनी से पहले खाद के लिए दिन रात केंद्रों पर जद्दोजहद करता रहा उसी किसान के खेतों में सरसों की बोवनी के बाद बारिश मुसीबत बनकर बरसी और पूरी फसल और मेहनत चौपट कर गयी. पहले खाद के लिए खाली हाथ रहा भिंड जिले का अन्नदाता अब अपनी फसल से भी हाथ धो बैठा है. जिले में आफत की बारिश ने जमकर नुकसान किया है.

बारिश से बर्बाद हुई सरसों की फसल

मध्य प्रदेश से विदा होने से पहले मानसून ने भिंड जिले में भारी तबाही मचाई है. 17-18 अक्टूबर को रुक-रुक कर 22 घंटे तक हुई बारिश में पीला सोना पैदा करने वाले भिंड जिले में सरसों की फसल बोवनी के बाद अंकुरित होने से पहले ही बर्बाद हो चुकी है. भिंड जिले में सरसों की बोनी का रकबा दो लाख हेक्टेयर के करीब है जिसमें किसानों ने 70% एक लाख पचास हजार हेक्टेयर में किसानों ने सरसों की बोवनी कर ली थी, बह पूरी बर्बाद हो चुकी है.

तैयार फसलों पर भी मुसीबत

सरसों के खेत अत्यधिक वर्षा के चलते तालाब बन चुके हैं, और बीज सड़ जाएगा ओर अंकुरण से पहले ही बर्बाद हो जायगा, वही जो खरीफ की फसल ज्वार, बाजरा और तिल, धान, उडद, मूंग की फसल तैयार थी उस फसल पर पानी पढ़ने के चलते उसका दाना भी काला पड़कर खराब होने की पूरी संभावना है.

भारी बारिश से खेतों में भरा पानी

धान की फसल भी बर्बाद

भिंड जिले का गोहद इलाका धान पैदा करने के लिए मशहूर है यहां पर सबसे ज्यादा धान की खेती होती है इस बारिश के चलते धान की फसल भी जमीन पर गिरने से काफी हद तक बर्बाद हो चुकी है, ऐसे में गोहद क्षेत्र भी बारिश के नुकसान से अछूता नही रहा.

पहले खाद की मारामारी, अब बारिश की चोट करारी

बीते एक महीने से जिले का किसान सरसों की फसल में बोने वाला खाद डीएपी के लिए लाइन में लगा हुआ था, भूखे प्यासे 4-4,5-5 दिन लाइन में लगने के बाद डीएपी खाद मिला तो कई किसानों ने समय रहते बोवनी के लिए 200 से 300 अधिक दे कर ब्लैक में भी खाद खरीदा और बोवनी की, लेकिन प्रकृति की मार के चलते विवश किसान एक बार फिर बर्बादी की कगार पर है

खेतों में पानी भरने के बाद निराश किसान

खेती पर महंगाई की मार

डीजल के महंगा होने के चलते बीते साल खेतों की जुताई 700 रुपये हेक्टेयर होती थी वह बढ़कर 1200 रुपये हो चुकी है. वही एनपीके खाद की बोरी तीन महीने पहले तक 1175 रुपए की सरकारी रेट थी वह अब बढ़ कर 1550 हो चुकी है जहां बड़ी कंपनी के सरसों के बीज 700 रुपये किलो प्रति पैकेट के हिसाब से मिलता था वह है अब 880 प्रति किलो के हिसाब से मिल रहा है

प्रति हेक्टेयर किसान का कितना नुकसान

गहरी जुताई- 3000 रुपए
(1500 रुपए की जुताई- 12 बार जुताई)
डीएपी फर्टिलाइजर- 6000 रुपए
सरसों बीज - 4400 रुपए
सल्फर खाद- 750 रुपए
कुल मिलाकर 16 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर किसान को इस बारिश से नुकसान हो चुका है.

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भगवान भरोसे सरकारी मुआवजा

इस तरह के नुकसान की बीमा कंपनी अथवा सरकार किसी प्रकार की भरपाई नहीं करते हैं. हालांकि कृषि अधिकारियों का कहना है कि वह उन्होंने सर्वे कार्य शुरू कर दिया है और वह नुकसान का आकलन शासन को भी भेजेंगे, लेकिन राहत देना सरकार के हाथ है. हालांकि किसान इस बात से भी परेशान रहा है कि इससे पहले भी बाढ़ और उससे पहले ओला वृष्टि से हुए फसल नुकसान का मुआवजा भी आज तक पूरी तरह नहीं मिल पाया है, ऐसे में इस बारिश से खराब हुई फसल का मुआवजा भी भगवान भरोसे ही है.

सरसों के रकबे पर पड़ेगा असर

हालांकि कृषि अधिकारी का कहना है कि किसान को नुकसान तो हुआ है, लेकिन 10 नवंबर तक किसान सरसों की बोवनी कर सकता है. जिसमें 15 से 20 किलो एनपीके खाद डाल कर बोवनी की जा सकती है लेकिन किसानों की माने तो सरसों का रकबा बड़ी तादाद में जिले में घटेगा क्योंकि सरसों की पीछे की खेती की पैदावार बहुत ही कम होती है इस वजह से किसान अब गेहूं की फसल ज्यादा बोवनी करेगा, जिसके लिए आने वाले समय में तीन से चार बार पानी देने की आवश्यकता पड़ेगी. गेहूं की फसल का एक भी पानी कटा तो फिर से गेहूं की पैदावार पर भी असर पड़ेगा.

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