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जान जोखिम में डालकर ड्यूटी कर रहे कोरोना वॉरियर्स का छलका दर्द, कही ये बात - भिंड न्यूज

कोविड-19 वार्ड में अपनी जान दांव पर लगाकर ड्यूटी कर रहे मेडिकल स्टॉफ, डॉक्टर्स कोरोना पॉजिटिव मरीज, और उनके परिजनों के व्यवहार से परेशान है लेकिन इन सबके बावजूद अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं.

Corona Warriors pain during duty
कोरोना वॉरियर्स का दर्द

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Published : Jul 26, 2020, 2:58 PM IST

भिंड। देशभर में कोरोना महामारी का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. आम आदमी से लेकर मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान तक कोरोना की चपेट में हैं. हर कोई इस बीमारी के नाम से ही डरा हुआ है लेकिन इन सबके बावजदू कोरोना योद्धा इस महामारी से जंग अदम्य साहस के साथ लड़ रहे हैं. पिछले चार महीने से भिंड जिले के कोरोना वॉरियर निस्वार्थ भाव से जान हथेली पर लेकर कोरोना का डटकर सामना कर रहे हैं, लेकिन ये योद्धा कई तरह की परेशानियों से सूझ रहे हैं, इन कोरोना वॉरियर ने ईटीवी भारत से अपना दर्द साझा किया है.

कोरोना वॉरियर्स का दर्द

कोरोना वॉरियर्स का दर्द

कोविड-19 वार्ड में अपनी जान दांव पर लगाकर ड्यूटी कर रहे मेडिकल स्टॉफ, डॉक्टर्स कोरोना पॉजिटिव मरीज, और उनके परिजनों के व्यवहार से परेशान हैं लेकिन इन सबके बावजूद अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं. जिला अस्पताल स्थित आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी कर रहे डॉ करतार सिंह बताते हैं कि उन्हें ड्यूटी करने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है, लेकिन समस्या मरीजों और उनके परिजनों के व्यवहार से होती है. वे रोकने के बाद भी नहीं बात नहीं सुनते हैं. मरीज के परिजन बार-बार उनसे मिलने आते हैं ऐसे में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

हीन भावना से देखते हैं लोग

डॉक्टर करतार सिंह आगे कहते हैं कि जब ड्यूटी खत्म होने पर घर जाते हैं तो पड़ोसियों के ताने सुनने पड़ते हैं, जिन बातों से मन दुखी होता है. वहीं ओपीडी में ड्यूटी कर रहे डॉक्टर बताते हैं कि भीषण गर्मी में पूरे दिन पीपीई किट पहने में बहुत परेशानी होती है.

स्वास्थ्य विभाग ने नहीं दिए सुरक्षा उपकरण

वहीं आशा कार्यकर्ताओं का दर्द भी कम नहीं है, सरकार के निर्देश के बाद आशा कार्यकर्ता ने कोरोना अभियान के तहत घर-घर जाकर सर्वे किये और संदिग्धों के सैंपल भी कराए, लेकिन इस दौरान उन्हें सुरक्षा के सुरक्षा के पर्याप्त उपकरण नहीं दिए गए. जिसके चलते कुछ कार्यकर्ताओं ने पीपीई किट, सैनिटाइजर, ग्लव्स तक अपने पैसों से खरीदे.

सरकार से बीमा पैकेज की मांग

आशा कार्यकर्ता सीमा ने बताया कि उनकी ड्यूटी के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा उन्हें किसी तरह के सुरक्षा उपकरण नहीं दिए गए, सुरक्षा के नाम पर उन्हें डिस्पोजेबल मास्क दिए गए थे, लेकिन ना तो उन्हें सैनिटाइजर दिया गया ना ही ग्लव्स दिए गए. साथ ही इन्होंने मांग की है कि डॉक्टर और अन्य कोरोना वॉरियर्स की तरह ही आशा कार्यकर्ताओं के लिए भी सरकार बीमा पैकेज की घोषणा करें.

चार महीने से नहीं मिले परिवार से

डॉ स्वामी बताते हैं कि पिछले 4 महीने से वह अपने परिवार से नहीं मिले है, उनका घर भिंड से बाहर है. ऐसे में उनकी पत्नी और उनकी दो बेटियां हाल ही में शहर में ही शिफ्ट हो गई हैं. उससे पहले डॉक्टर सोनी महीने महीने भर अपनी बच्चियों से नहीं मिल पाते थे अपने माता पिता से तो लगभग 4 महीने से नहीं मिल पाए हैं, सिर्फ वीडियो कॉल के जरिए ही उनकी बात हो पाती है.

इन कोरोना योद्धाओं का समझें दर्द

जिस तरह कोरोना महामारी ने भिंड जिले में जबसे पैर पसारे है उससे पहले से ही भिंड के स्वास्थ्य कर्मियों ने पूरी शिद्दत से मोर्चा संभाला है लेकिन अब जरूरत है कि प्रशासन और लोग उनकी परेशानियों को भी समझें और उन्हें ऐसा माहौल दें जिससे कि वह इस बीमारी के दौर में बिना किसी परेशानी अपनी जिम्मेदारियां निभा सकें.

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