भिंड।चंबल-अंचल में घोंटा आलू की सब्जी का अलग ही क्रेज है. कहा जाता है कि, अगर इस इलाके में पहुंचे और घोंटा नहीं खाए तो यहां आने का कोई मतलब नहीं है. इन दिनों भिंड जिले के खनेता धाम में संत समागम चल रहा है. यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुट रहे हैं. प्रतिदिन प्रसादी के लिए भव्य भंडारा चल रहा है. ना कुर्सी ना टेबल ना ही कोई बिछौना, हजारों श्रद्धालु एक साथ जमीन पर बैठकर बूंदी और मालपुए के साथ घोंटा आलू की सब्ज़ी का आनंद ले रहे हैं. इसका घोल तैयार करने के लिए भवन निर्माण में उपयोग होने वाली मशीन (आरसीसी घोल मिक्सर) यहां लगाई गईं है. सब्जी को पलटने के लिए जेसीबी मशीन का उपयोग किया जाता है. बताया जाता है कि, घोंटा आलू की सब्जी थाली में आए तो लोग उंगलियां चाटते रह जाते हैं. चम्बल अंचल में बिना घोटा के कोई भंडारा नहीं होता.
4 से 5 घंटे में तैयार होती है सब्जी:भंडारे के लिए अलग से बड़ी रसोई बनाई गई है. यहां करीब आधा सैकड़ा हलवाई भंडारे के लिए पकवान बनाने में जुटे हुए हैं. इस रसोई में रखी हैं 3 बड़ी बड़ी कड़ाही है. इनमें एक साथ घोंटा आलू तैयार किया जाता है. जब हलवाइयों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि, चम्बल का भंडारा विशेष है. यहां भंडारे में घोंटा आलू लोगों का प्रिय है. इसलिए इसे पूरी शिद्दत से तैयार किया जाता है. इस सब्जी में ना तो लहसुन होती है और ना ही प्याज, सिर्फ आलू और मसालों को साथ पकाकर इसे बनाया जाता है. हलवाई कहते हैं कि, इसे 3 से 4 घंटे तक पकाया जाता है, तभी इसमें स्वाद आता है. यही वजह है कि, जब घोंटा स्वाद बनता है तो लोग बड़े चाव से इसे खाते हैं.