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छठ पूजा पर दिखा कोरोना का असर, महिलाएं नहीं पहुंची घाट, घर में की पूजा - Betul

बैतूल को हमलापुर में शुक्रवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा की गई. इस दौरान कोरोन के चलते लोगों ने जागरुकता दिखाते हुए अपने मोहल्लों में ही हैंडपम्प पर जाकर छठ पूजा की.

Chhath festival
छठ पर्व

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Published : Nov 21, 2020, 10:00 AM IST

बैतूल। महापर्व छठ को लेकर बिहार समेत पूरे देश में उत्साह का माहौल है तो वहीं बैतूल जिले में भी इस त्योहार को धूमधाम से मनाया जा रहा है. बैतूल शहर के हमलापुर में शुक्रवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा की गई. यहां महिलाओं ने छठ मैया की पूजा अर्चना की ओर सूर्य देव को अर्घ्य दिया. खास बात यह रही कि कोरोना के चलते लोग नदी या घाटों पर दिखाई नहीं दिए.

छठ पूजा करती महिलाएं

बैतूल में भी छठ पर्व के तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल अष्टमी को संध्या के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया गया. शाम को बांस से बने टोकरी में फलों, ठेकुआ और चावल के लड्डुओं से अर्ध्य का सूप सजाया गया. जिसके बाद व्रती महिलाओं ने अपने परिवार के साथ सूर्य को अर्घ्य दिया. अर्ध्य के समय सूर्य देव को जल और दूध चढ़ाया गया और प्रसाद भरे सूप से छठी मैया की पूजा की गई. कोरोना के चलते बैतूल में महिलाएं घाटों पर नहीं गईं, उन्होंने अपने मोहल्लों में ही हैंडपम्प पर जाकर छठ पूजा की. महिलाओं ने बताया कि वे निर्जला उपवास रखती है.

पुजारी ऋषि कुमार दुबे ने बताया कि सूर्य देव की उपासना के बाद रात्रि में छठी माता के गीत गाए जाते हैं और व्रत कथा सुनी जाती है. बांस की टोकरी में सभी सामान रखे जाते हैं सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखा जाता है और सूप में ही दीपक जलाए जाते हैं और नदी में उतरकर सूर्य देव को अर्ध्य दिया जाता है. उन्होंने बताया कि इस उपवास को रखने से पति को लंबी आयु मिलती है, बच्चे स्वस्थ्य और निरोगी रहते है और परिवार में सुख समृद्धि आती है.

शाम को अर्ध्य देने के पीछे मान्यता है, कि सुबह के समय अर्थ देने से स्वास्थ्य ठीक रहता है, दोपहर के समय अर्घ्य देने से नाम और यश होता है, वहीं शाम के समय अर्घ्य देने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण होती है.

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