बैतूल। कभी बिन बारिश जीवन वीरान हो जाता है तो कभी अति बारिश से जिंदगी बेहाल हो जाती है. कभी पानी के अभाव में फसलों के साथ किसानों के चेहरे भी मुरझा जाते हैं तो कभी बाढ़ से अन्नदाता के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच जाती हैं. लिहाजा पानी की किल्लत से जूझ रहे ग्रामीणों ने इंद्रदेव को मनाने के लिए पुराने नुस्खों को आजमाया, जो सच भी साबित हुए.
ग्रामीणों ने बारिश के लिए भगवान भोलेनाथ को पानी में डुबाया, फिर मंदिर में जड़ा ताला
बारिश के लिए टोटका कोई नई बात नहीं है, अषाढ़ मास की शुरुआत से ही ऐसे टोने टोटकों का चलन तेज हो जाता है, जिसके करने से बारिश होने की संभावना प्रबल हो जाती है. हालांकि, विज्ञान ऐसे टोने टोटकों को सिरे से खारिज कर देता है.
शाहपुरा ब्लॉक में बारिश के लिए ग्रामीणों ने दुर्गा चौक स्थित प्राचीन शिव मंदिर में पहुंचकर शिवलिंग को पानी में डूबा दिया, फिर मंदिर में ताला जड़ दिया. उसके बाद पांच-छह दिन तक भगवान भोलेनाथ कैद रहते हैं, इस बीच बारिश हो जाने पर पहले ही मंदिर का ताला खोल दिया जाता है. नहीं तो पांच-छह दिन बाद मंदिर का ताला खोला जाता है. उनका मानना है कि ऐसा करने से शिव की जटा में विराजमान मोक्षदायिनी मां गंगा की कृपा से बारिश हो जाएगी.
वहीं, ग्रामीणों का पुराना नुस्खा रंग लाया और इस टोटके के दो दिन बाद ही जोरदार बारिश हुई. आलम ये है कि अब बारिश रोकने का ग्रामीमों को कोई उपाय नहीं सूझ रहा है क्योंकि भरी बारिश से नदी-नाले उफान पर आ गये हैं. लोगों की गृहस्थी बर्बाद हो रही है. लगभग 4 से 5 घंटे तक भोपाल-नागपुर हाइवे भी बंद रहा.