बैतूल।नेक नियत के साथ की गई हर अच्छी शुरुआत का अंजाम भी अच्छा ही होता है. हमेशा ही दीनदुखियों की निस्वार्थ भाव से सेवा करने वाले समाजसेवी सतीश पारख जिलेवासियों के लिए आज समाजसेवा की मिसाल बन गए हैं. समाजसेवी सतीश सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय भाव से लगातार लोगों की सेवा किए जा रहे हैं. उनका ये कारवां कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के दौरान भी नहीं थमा. इस महामारी के दौर में भी वे साहस जुटाकर जरूरतमंदों की हर संभव मदद कर रहे हैं.
'मिलती है आत्मसंतुष्टी'
62 वर्षीय व्यापारी सतीश पारख अब तक 139 बार रक्तदान कर चुके हैं. लॉकडाउन के दौरान तपती धूप में अपनी स्कूटी से शहर में घूम-घूम कर लोगों की मदद करने वाले सतीश ऐसे व्यक्ति हैं, जो अपनी आमदनी में से एक बड़ा हिस्सा समाजसेवा पर खर्च करते हैं. वो कहते हैं कि, सेवा ही असल में मानव जीवन का सौंदर्य और शृंगार है. सेवा न सिर्फ मानव जीवन की शोभा है, बल्कि यह भगवान की सच्ची पूजा भी है. भूखे को भोजन देना, प्यासे को पानी पिलाना ही सच्ची मानवता है. समाजसेवी पारख का कहना है कि, समाज सेवा से ही उन्हें संतोष और असीम शांति कि प्राप्त होती है. परोपकार एक ऐसी भावना है, जिससे दूसरों का तो भला होता है, खुद को भी आत्मसंतुष्टि भी मिलती है.
निभा रहे अपना दायित्व
समाजसेवी पारख ने बताया कि, समाज सेवा ही उनके जीवन का उद्देश्य है. वो ऐसे परिवारों की आर्थिक मदद करके किसी पर कोई उपकार नहीं कर रहे, बल्कि समाज के प्रति अपना दायित्व निभा रहे हैं. उन्होंने जिले के कई सक्षम परिवारों से अपील करते हुए कहा कि, अपनी आय का कुछ हिस्सा समाज सेवा में खर्च करें, ताकि हर तबका खुश रह सके.
'सौ हाथों से कमाएं हजार से दान दें'