बैतूल। सौ साल की उम्र में भी बिना चश्मे के अखबार, भागवत गीता पढ़ना और बगैर लाठी के सहारे पैदल घूम पाना आज के दौर में नामुमकिन सा लगता है, लेकिन बैतूल के प्यारेलाल वर्मा ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया है. वे सौ साल की उम्र में नियमित योग और संयमित दिनचर्या रखते हैं. प्यारेलाल बैतूल से 12 किलोमीटर दूर सोहागपुर गांव में रहते हैं. 30 अक्टूबर को प्यारेलाल सौ साल के हो गए हैं. उनका जन्मदिन उनके पूरे परिवार ने मुंह मीठा करके मनाया.
सौ साल की उम्र में भी प्यारेलाल को नहीं लगा चश्मा, आज भी करते हैं खेत में काम
बैतूल जिले के सोहागपुर गांव में रहने वाले प्यारेलाल वर्मा सौ साल की उम्र होने के बाद भी बिना चश्मे के अखबार और भागवत गीता पढ़ते हैं, साथ ही बिना लाठी के पैदल चलते हैं.
अपनी आंखों के सामने 6 पीढ़ियों को देख चुके प्यारेलाल वर्मा का जन्म 30 अक्टूबर 1919 को हुआ था. तब से आज के दिन शतकवीर होने तक उनके जीवन का सफर बहुत ही संयमित रह. उन्हें सौ साल की उम्र में भी लाठी और चश्मे की जरूरत नहीं पड़ती है. नियमित सुबह 4 बजे जागना, टहलना फिर नहाकर अखबार पढ़ना है. साथ ही समय पर खाना खाने के बाद खेत का कामकाज निपटाकर शाम को 8 से 9 के बीच शाम का भोजन करने के बाद 10 बजे तक सो जाते हैं. ये उनकी दिनचर्या रही है. उम्र के इस पड़ाव में अब वे खेत तो नहीं जाते हैं, लेकिन घर के आंगन में टहलना नहीं भूलते हैं.
प्यारेलाल वर्मा के परिवार वाले बतलाते हैं कि जब से वे उन्हें देख रहे हैं, उनकी दिनचर्या बहुत ही संयमित रही है. बाहर का खाना खाने की बात तो दूर उन्होंने कभी होटल का पानी तक नहीं पिया है. पानी पिया भी है तो हैंड पंप और कुएं का ही पानी पिया है. परिवार के सदस्यों के मुताबिक उन्होंने कभी उन्हें बीमार होते भी नहीं देखा है. उनके 100वें जन्मदिन को मनाते समय उनकी 6 पीढ़ियों के सदस्य उत्साह से भरे नजर आए.