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ताप्तीजन्मोत्सव पर लॉकडाउन का साया, इस बार नहीं निकलेगी शोभायात्रा - Tapti janmoutsav in Betul

कोरोना संकट काल में इकठ्ठा होकर कोई भी धार्मिक काम करने पर प्रतिबंध लगा हुआ है. इसी के चलते बैतूल में हर साल ताप्ती सप्तमी पर होने वाले कार्यकम में बदलाव किया गया है, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन हो सके.

Betul
मां ताप्ती मंदिर

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Published : Jun 14, 2020, 11:57 PM IST

बैतूल। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के चलते धार्मिक आयोजनों पर लगे प्रतिबंध से आषाढ़ सप्तमी को आयोजित होने वाला ताप्ती जन्मोत्सव भी अछूता नहीं रहा है. वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए इस साल जन्मोत्सव का स्वरूप बदल दिया गया है, जन्मोत्सव पर इस वर्ष शोभा यात्रा नहीं निकलेंगी और भंडारा प्रसादी का वितरण भी नहीं होगा. कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए यह फैसला ताप्ती जन्मोत्सव समिति की बैठक में लिया गया है.

कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए जारी लॉकडाउन के चलते शासन द्वारा धार्मिक आयोजनों को लेकर जारी गाइडलाइन को देखते हुए समिति ने आयोजन के स्वरूप को बदलते हुए सादगी और श्रद्धा भाव के साथ कार्यक्रमों को आयोजित करने का निर्णय लिया है. श्रद्धालुओं की भीड़ से जुड़े आयोजन स्थगित करने पर समिति के सभी सदस्यों ने सहमति जताई है और इसी के चलते इस बार ये कार्यक्रम सादगी से मनाया जाएगा.

समिति के सदस्य राजू पाटणकर ने बताया कि 27 जून को ताप्ती जन्मोत्सव का आयोजन होगा. इस अवसर पर सुबह 9 बजे परंपरा अनुसार सरोवर के बीच ध्वजारोहण किया जाएगा. शाम 7 बजे महा दुग्ध अभिषेक अनुष्ठान होगा, जबकि दोपहर में निकलने वाली शोभा यात्रा का आयोजन स्थगित किया गया है. वहीं भंडारा प्रसादी का वितरण भी नहीं किया जाएगा. मंदिर में पूजन भी प्रतिबंधित रहेगी. सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए केवल दर्शन की अनुमति दी जाएगी. समिति ने सभी श्रद्धालुओं से जन्मोत्सव पर अपने घरों में ही माता ताप्ती की पूजा अर्चना कर जन्मोत्सव मनाने की अपील की है.

ताप्ती जन्मोत्सव का महत्व

बैतूल जिले का मुलताई शहर पूरे देश में पुण्य सलिला मां ताप्ती नदी के उदगम स्थल के रूप में प्रसिद्ध है. पहले इसे मूलतापी के रुप में जाना जाता था. प्रतिवर्ष अषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को ताप्ती जन्मोत्सव मनाया जाता है. यहां दूर-दूर से लोग दर्शनों के लिए आते हैं. ताप्ती मां का यहां सुन्दर मंदिर है और ताप्ती नदी की महिमा की जानकारी स्कंद पुराण में मिलती है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक मां ताप्ती सूर्यपुत्री और शनि की बहन के रुप में जानी जाती हैं. यही कारण है कि जो लोग शनि से परेशान होते हैं, उन्हें ताप्ती नदी में स्नान करने और उसकी पूजा आराधना करने से राहत मिलती है. लोग श्रद्धा से इसे ताप्ती गंगा भी कहते हैं.

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