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MP Crime News: बैतूल में नकली नोट बनाने वाला शातिर गिरफ्तार, इंदौर में खाद्य पदार्थ की कालाबाजारी का खुलासा - इंदौर खाद्य सामग्री की कालाबाजारी

बैतूल और इंदौर में पुलिस कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया है. बैतूल में नकली नोट बनाने वाले एक बदमाश को पकड़ा और सामान जब्त किया है. वहीं इंदौर में खाद्य सामग्री की कालाबाजारी का खुलासा किया है.

MP Crime News
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 29, 2023, 7:54 PM IST

बैतूल। आमला शहर में नकली नोट बनाकर बाजार में चलाते हुए एक शातिर बदमाश को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. उसके पास से सौ रुपए के 8 नोट भी पुलिस ने बरामद किए हैं. आरोपी के पास से नोट बनाने की सामग्री भी जब्त की गई है. आरोपी की प्लानिंग थी कि यह नोट चलने पर वह दो सौ और पांच सौ के नोट भी बनाता. बता दें आरोपी यूट्यूब देखकर नकली नोट बनाता था. वहीं इंदौर में पुलिस ने खाद्य सामग्री में हो रही कालाबाजारी का खुलासा किया है.

पुलिस ने नकली नोट बनाने का सामान किया बरामद:बैतूल पुलिस ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस अधीक्षक बैतूल सिद्धार्थ चौधरी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कमला जोशी के निर्देशन में अनुविभागीय अधिकारी पुलिस मुलताई एसपी सिंह के मार्गदर्शन में आमला कस्बे में 100 रुपए के नकली नोट चलाते हुए आरोपी मोहन मालवीय उम्र 27 को रंगे हाथों पकड़ा है. उसके पास से 100 रुपए के आठ नकली नोट बरामद हुए हैं. आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच की जा रही है. वहीं पूछताछ में रतेड़ा रोड आमला स्थित उसके किराये के घर से 100 रुपए के 2 अन्य नकली नोट, 200 रुपए के नोट की 3 छायाप्रतियां, प्रिंटर, कम्प्यूटर, की-बोर्ड माउस एवं नोट छापने के लिये फोटोकॉपी वाले ए4 साइज के कागज जब्त किए है.

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इंदौर खाद्य सामग्री की कालाबाजारी: वहीं इंदौर में खाद्य विभाग की टीम को मुखबिर से सूचना मिली थी कि बाणगंगा थाना क्षेत्र के बाणेश्वरी कुंड के नजदीक एक वाहन में भारी मात्रा में खाद्यान्न सामग्री रखी हुई है. यह पूरी खाद्य सामग्री शासकीय वितरण प्रणाली के तहत गरीबों को मिलने वाला राशन है. जिसकी कालाबाजारी की जा रही है. इसी के तहत खाद्य विभाग ने कार्रवाई करते हुए 90 क्विंटल चावल बरामद किया था. बताया जा रहा है कि शासकीय राशन दुकान से पहले गरीबों को राशन दिया जाता है, तो तीन से चार रुपए किलो में मिलता है. जिसके बाद यही अनाज राशन माफियाओं द्वारा गरीबों के घर-घर जाकर 10 से ₹15 प्रति किलो के हिसाब से ले लिया जाता है. उसके बाद बड़ी-बड़ी फैक्ट्री में बच्चों के लिए बनने वाले कुरकुरे और नमकीन में इनका उपयोग किया जाता है. कम दामों में मिलने के कारण राशन माफिया को इस राशन से काफी अच्छा मुनाफा मिलता है. इससे पहले भी खाद्य विभाग द्वारा कई स्थानों पर इस तरह की कार्रवाइयों को अंजाम दिया गया.

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