बड़वानी।पूरे मध्यप्रदेश में जलसंकट गहरा गया है. गांवों में हालात बहुत खराब हैं. ग्रामीणों की यह तस्वीर प्रदेश सरकार और जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों के विकास और मूलभूत सुविधाओं को गांव-गांव में उपलब्ध करने के दावों की पोल धरातल पर खोलती नजर आ रही है. (water being carried by mules in barwani) (water crisis in villages of MP)
बूंद को तरस रहे ग्रामीण:पानी की समस्या ने मजदूर वर्ग के लोगों की कमर तोड़ दी है. इनका दिनभर का समय पानी भरने की जुगाड़ में निकल जाता है. गांव के हैंडपंप और कुआं ग्रामीणों के लिए अनुपयोगी साबित हो रहे हैं. इस वजह से ग्रामीण पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे हैं. करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद जिले में मुख्यमंत्री की महत्वकांक्षी नल जल योजना भी दम तोड़ रही है. हालात यह है कि बड़वानी से भारतीय जनता पार्टी के एक प्रदेश और दो जनप्रतिनिधि भी आते हैं. ये तीनों जनजाति समुदाय को विकास से जोड़ने के दावे करते आ रहे हैं. इसके बावजूद पानी जैसी मूलभूत सुविधा के लिए ग्रामीण तरस रहे हैं.
झिरी और गड्ढों के पानीसे बुझ रही ग्रामीणों का प्यास:प्रदेश के पशुपालन और सामाजिक न्याय मंत्री गजेंद्र पटेल और राज्यसभा सांसद डॉ सुमेर सिंह सोलंकी के गृहक्षेत्र में पानी के लिए लोग संघर्ष कर रहे हैं. आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी गांवों की स्थिति जस की तस बनी हुई है. बड़वानी में पानी के लिए दर-दर लोग भटक रहे हैं. 2 से 3 किलोमीटर का मुश्किलों भरा सफर तय कर ग्रामीण नालें या झिरी के पानी से प्यास बुझा रहे हैं. ग्रामीण गधों और खच्चरों की सहायता से पानी की तलाश कर अपनी और परिजनों की प्यास बुझाने को मजबूर हैं. गोलगांव, खैरवानी और सेमलेट में महिलाएं, झिरी और गड्ढों से पानी भर रहे हैं. खच्चरों में पानी ढोया जा रहा है. मासूम बच्चे भी सर पर पानी के बर्तन रखकर ले जाने को मजबूर हैं. पशुओं के साथ सामाजिक न्याय की ये तस्वीर आपको हैरान कर देगी. (Mules carrying water in barwani tribal area)