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मुंगावली में बीजेपी की स्थिति 'कमजोर', कन्हईराम बृजेंद्र पर पड़ सकते हैं भारी !

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Published : Oct 31, 2020, 6:20 AM IST

अशोकनगर जिले की मुंगावली विधानसभा सीट उन 6 सीटों में शामिल है, जहां बीजेपी की स्थिति कमजोर नजर आ रही है. क्या हैं मुंगावाल के सियासी समीकरण देखें ये रिपोर्ट...

Political competition of Mungavali
मुंगावली का सियासी मुकाबला

अशोकनगर। मध्यप्रदेश की जो 28 सीटें प्रदेश की सरकार का फैसला करेंगी, उनमें से एक अशोकनगर जिले की मुंगावली विधानसभा सीट भी है. माना जा रहा है कि ग्वालियर चंबल अंचल की सीटें प्रदेश की सत्ता की चाबी है. ऐसे में मुंगावली सीट भी काफी अहम मानी जा रही है, सीट की अहमियत इसलिए भी है क्योंकि मुंगावली सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाववाली सीटों में से एक मानी जाती रही है. ये सीट से सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाने वाले बृजेन्द्र सिंह यादव के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी. अब बीजेपी ने बृजेंद्र को ही मैदान में उतारा है. तो कांग्रेस ने कन्हईराम लोधी पर दांव लगाया है. जबकि बसपा ने वीरेंद्र शर्मा को प्रत्याशी बनाया है.

मुंगावली का सियासी मुकाबला

मुंगावली सीट का चुनावी इतिहास

आजादी के बाद साल 1957 में अस्तित्व में आई मुंगावली विधानसभा सीट पर अब तक 14 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और इस सीट पर होने वाला 15वां चुनाव है. मुंगावली विधानसभा सीट पर अब तक हुए चुनाव-

  • सबसे पहले साल 1957 में इस सीट पर चुनाव हुआ था तब खलक सिंह प्रत्याशी अखिल भारतीय हिन्दू महासभा ने 142 वोटों से जीत दर्ज की थी.
  • साल 1962 के विधानसभा चुनाव में चंद्रभान सिंह प्रत्याशी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने 3745 वोटों से जीत दर्ज की थी.
  • साल 1967 के चुनाव में सी. सिंह प्रत्याशी स्वतंत्र पार्टी ने 29428 वोटों से जीत दर्ज की.
  • साल 1972 के चुनाव में गजरा सिंह प्रत्याशी भारतीय जनसंघ ने 6787 वोटों से जीत दर्ज की.
  • साल 1977 के चुनाव में चंद्रमोहन रावत प्रत्याशी जनता पार्टी ने 1480 वोटों से जीत दर्ज की.
  • साल 1980 के चुनाव में गजराम सिंह प्रत्याशी इंडियन नेशनल कांग्रेस (I) ने 9656 वोटों से जीत दर्ज की.
  • साल 1985 के चुनाव में गजराम सिंह ने एक बार फिर इंडियन नेशनल कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर 4377 वोटों से जीत दर्ज की.
  • साल 1990 के चुनाव में देशराज सिंह प्रत्याशी बीजेपी ने 6894 वोटों से जीत दर्ज की.
  • साल 1993 के चुनाव में आनंद कुमार पालीवाल प्रत्याशी इंडियन नेशनल कांग्रेस ने 771 वोटों से जीत दर्ज की.
  • साल 1998 के चुनाव में राव देशराज सिंह यादव प्रत्याशी बीजेपी ने 7736 वोटों से जीत दर्ज की.
  • साल 2003 के चुनाव में गोपाल सिंह चौहान प्रत्याशी कांग्रेस ने 9576 वोटों से जीत दर्ज की.
  • साल 2008 के चुनाव में बीजेपी के राव देशराज सिंह यादव ने 21045 वोटों से जीत दर्ज की.
  • साल 2013 के चुनाव में कांग्रेस के महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा ने 20765 वोटों से जीत दर्ज की.
  • साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस के बृजेन्द्र सिंह यादव ने 2136 वोटों से जीत दर्ज की.

साल 2000 के बाद हुए 4 चुनावों में से 3 बार जीती कांग्रेस

साल 2013 के उपचुनाव में मुंगावली विधानसभा से महेंद्र सिंह कालूखेड़ा चुनाव जीते थे. उनका सामना भाजपा के प्रत्याशी राव देशराज सिंह से था. लेकिन अचानक महेंद्र सिंह कालूखेड़ा का निधन होने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ. जिसमें कांग्रेस से बृजेंद्र सिंह यादव व भाजपा से दिवंगत देशराज सिंह यादव की पत्नी बाई साहब यादव को टिकट मिला.इस उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बृजेंद्र सिंह यादव विजयी हुए.साल 2018 में कांग्रेस पार्टी से बृजेंद्र सिंह यादव को टिकट मिला, तो वहीं भारतीय जनता पार्टी ने डॉक्टर केपी यादव को मैदान में उतारा. लेकिन बृजेंद्र सिंह यादव ने फिर बाजी मारते हुए कांग्रेस को विजय हासिल कराई. हालांकि अब बृजेंद्र सिंह यादव बीजेपी के पाले में है.

कांग्रेस प्रत्याशी का दावा

कांग्रेस प्रत्याशी कन्हईराम किसान हैं, जिनके पास महज 25 बीघा जमीन है.उनका कहना है कि मेरे पास पैसा भी नहीं है.जनता ही चुनाव लड़ रही है.जनता जो निर्णय देगी वो सरआखों पर होगा.

कांटे की टक्कर

मुकाबला दिलचस्प है, क्योंकि बीजेपी प्रत्याशी बृजेंद्र सिंह यादव पर दल-बदल का आरोप लग रहा है, जिससे कहीं न कहीं जनता के बीच आक्रोश तो है, वहीं कन्हईराम मध्यमवर्गीय पृष्ठभूमि से है, लिहाजा जनता की सहानुभूति मिल सकती है. हालांकि यादव बाहुल्य क्षेत्र होने से बृजेंद्र यादव को इसका फायदा मिलने की संभावना है. वहीं बसपा प्रत्याशी वीरेंद्र शर्मा पर बात करने से पहले यहां के जातिगत समीकरण समझना जरूरी है.

कुल मतदाता

मुंगावली विधानसभा में कुल 1 लाख 92 हजार 138 मतदाता हैं. जिनमें 1लाख 2 हजार 683 पुरुष मतदाता हैं और 89 हजार 448 महिला मतदाता व सात अन्य मतदाता शामिल हैं.

जातिगत समीकरण

मुंगावली विधानसभा में जातिगत आंकड़ों की बात की जाए तो यहां अनुसूचित जाति व जनजाति के 47 हजार मतदाता हैं. 40 हजार यादव, दांगी 15 हजार, लोधी वोट 19 हजार, कुशवाह 9 हजार, गुर्जर 6 हजार, मुस्लिम 7 हजार, ब्राह्मण 5 हजार व अन्य मतदाता हैं.

बीजेपी को इस सीट पर खतरा

इन आंकड़ों से स्पष्ट हो जाता है कि क्षेत्र में अनुसूचित जाति जनजाति और यादव समाज के वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं.साथ ही लोधी समाज के मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है. माना जा रहा है कि बसपा प्रत्याशी वीरेंद्र शर्मा का क्षेत्र में कोई खास वर्चस्व नहीं है, साथ ही वे सामान्य वर्ग से हैं, ऐसे में अनुसूचित जाति व जनजाति का वोट बैंक कांग्रेस के पाले में जा सकता है. जिससे कन्हईराम लोधी मजबूत स्थिति में नजर आते हैं. मुंगावली उन 6 सीटों में शामिल है, जिन पर बीजेपी की स्थिति मौजूदा वक्त में कमजोर नजर आ रही है.

6 सीटों पर बीजेपी ने झोंकी पूरी ताकत

मुंगावली, सांवेर, अंबाह, पोहरी अशोकनगर, सुवासरा सीटों पर भाजपा जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. इन 6 सीटों पर साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कम अंतर से जीते थे. अब इन 06 सीटों पर सभी कांग्रेस प्रत्याशी दल बदल कर भाजपा से मैदान में उतरे हैं. ऐसे में भाजपा इन कमजोर कड़ी मानी जाने वाली सीटों पर जीत के लिए पूरा जोर लगा रही है. इन 6 सीटों पर 4 प्रभारियों के साथ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी अपनी नजर बनाए हुए है. मुख्यमंत्री भी रोजाना इन सीटों का फीडबैक ले रहे हैं.

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