आगर मालवा । 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, क्योंकि पढ़ेंगी बेटियां तभी तो बढ़ेंगी बेटियां' जैसे नारों से दीवार, पोस्टर पटे मिल जाते हैं, सरकार के विज्ञापनों पर भी खूब लिखा मिल जाएगा, लेकिन ये बात केवल नारों तक ही सीमित है, क्योंकि धरातल पर हकीकत इसके बिल्कुल उलट है. हालात यह है कि, प्रदेश की शिवराज सरकार में बेटियों की दुर्दशा हो रही है. बेटियों के लिए लाई गई योजनाएं असल में उन तक पहुंच ही नहीं पाती हैं. जिसके कारण ना तो बेटियां पढ़ पाती हैं और ना ही आगे बढ़ पाती हैं.
बैल की जगह खुद लगकर खेत जोत रही बेटियां
आगर मालवा जिले में एक मजबूर पिता की ऐसी तस्वीर सामने आई है, जो दिल को झकझोर करने वाली है. जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूरी पर ग्राम मथुराखेड़ी में दो बेटियों ने गरीब किसान पिता का घर चलाने के लिए ऐसा हाथ बढ़ाया कि, उनकी पढ़ाई ही छूट गई. किसान कुमेर सिंह अपनी दो बेटियों के साथ खेत जोतने को मजबूर हैं और दोनों बेटियां बैल की जगह खुद लगकर गरीब पिता का सहारा बनी हुई हैं.
पढ़ाई छोड़ बनी गरीब पिता का सहारा
कुबेर सिंह के पास गांव में 2 बीघा जमीन है. इस भूमि पर होने वाली फसल से केवल किसान के घर दो वक्त का खाना बन पाता है, बेटियों की कोई जरूरत नहीं पूरी हो सकती. ऐसे में पिता का खर्चा कम करने व काम में हाथ बंटाने के लिए कुमेर सिंह की दोनों बेटियों ने पढ़ाई छोड़ दी और खेतों में पिता का हाथ बंटाने लगीं. परेशानी यहीं खत्म नहीं हुई खेतों में फसल की बुवाई के बाद खरपतवार नष्ट करने की जब व्यवस्था नहीं हो पाई तो दोनों बेटियां बैल बन गईं.