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45 डिग्री तापमान में धूनी लगाकर नागा साधु कर रहे तप, देखें वीडियो

शरीर पर भभूति लगाए एक नागा साधु 45 डिग्री तापमान में विश्व कल्याण की कामना मन में लेकर धूनी रमाते हुए तपस्या कर रहा है. भीषण गर्मी के मौसम में ऐसी तपस्या को देखने और धूनी की परिक्रमा करने के लिए ग्रामीणों का तांता लग रहा है.

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Published : Jun 12, 2019, 6:36 PM IST

तपस्या करते नागा साधु

आगर मालवा। जिले के पास पटपडा में स्थित इच्छापूर्ति पायली माता के दरबार में सिंहस्थ जैसा नजारा देखने को मिल रहा है. घंटे, घड़ियालों और शंख की ध्वनि के बीच शरीर पर भभूति लगाए एक नागा साधु 45 डिग्री तापमान में विश्व कल्याण की कामना मन में लेकर धूनी रमाते हुए तपस्या कर रहा है. भीषण गर्मी के मौसम में ऐसी तपस्या को देखने और धूनी की परिक्रमा करने के लिए ग्रामीणों का तांता लग रहा है.

45 डिग्री तापमान में साधु कर रहा घोर तप

जूना अखाड़ा फतेहरपुर सिकरी बृज क्षेत्र आगरा से आए दो नागा साधु महंत सत्यानंद भारती और उनके शिष्य महंत भरतभारती जिस जगह पर बीते साढे़ 3 माह से रूके हुए हैं, यह इच्छापूर्ति माताजी का धार्मिक स्थल है. नवरात्र के दौरान उन्होंने यहां पर तपस्या कि थी और अब 6 जून से 45 डिग्री तापमान के बीच वे धूनी रमाकर तपस्या कर रहे हैं. मंगलवार को 1200 कंडों की 11 धूनियां लगाकर महंत भरतभारती ने तपस्या की. प्रतिदिन सुबह 11 से डेढ़ बजे के बीच गुरू महंत सत्यानंद भारती अपने शिष्य भरत भारती को धूनी रमाने की शिक्षा दे रहे हैं.

क्यों कर रहे कठोर तप
महंत सत्यानंद भारती ने बताया कि वे विश्व कल्याण की कामना और सनातन हिन्दू धर्म का अनुसरण आने वाली हर पीढी करे इस उदेश्य के साथ यह तपस्या कर रहे हैं. धूनी रमाते समय महंत भरतभारती मोन व्रत में रहते हैं. महंत सत्यानंद भारती बताते हैं कि इस कार्य में ग्रामीणों का अच्छा खासा सहयोग मिल रहा है. 6 जून से शुरू हुई ये तपस्या हरिइच्छा ( ईश्वर की इच्छा के मुताबिक) तक चलेगी.
सिंहस्थ में भी रमाई थी धूनी
महंत सत्यानंद भारती ने बताया कि वे हर कुंभ व सिंहस्थ में धूनी रमाते हैं. पंच सदनाम आह्वान अखाड़ा के मंहत ने वर्ष 2016 में उज्जैन में लगे सिंहस्थ व गत वर्ष प्रयागराज में आयोजित कुंभ मेले में भी धूनी रमाई थी और तपस्या की थी. इनके इस अखाडे़ में 1 लाख से भी ज्यादा नागा साधु शामिल हैं. आगरा में इनका आश्रम चोखण्डी महादेव मठ में स्थित है.
ग्रामीणों ने नागा साधुओं के लिए बनाई कुटिया
नागा साधु यहां तपस्या के लिए रूके तो पटपडा के ग्रामीणों ने उनके रहने व खाने-पीने की सारी व्यवस्थाएं कर दी. यहां तक की उनके रहने के लिए घास फूस और लकड़ियों के सहारे कुटीया का निर्माण भी मंदिर परिसर में ही कर दिया.

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