उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल मंदिर में रंग पंचमी पर्व पर ध्वज-चल-समारोह की वर्षों से चली आ रही परम्परा का निर्वहन आज कोरोना संक्रमण के दो साल बाद तमाम पाबंदियों के खत्म होने के बाद किया गया. मंदिर प्रांगण में सर्वप्रथम सभा मंडप में गोधूलि बेला में शासकीय पूजारी घनश्याम गुरू ने महाकाल के सेनापति वीरभद्र जी का विधिवत पूजन अर्चन व आरती की तत्पश्चात ध्वज पूजन कर सभी ध्वज लेकर मंदिर स्थित पवित्र कोटितीर्थ कुन्ड की परिक्रमा करते हुए होलिका पूजन स्थल की प्रक्रिमा से सभी वापस सभा मण्डप पंहुचे. जहां पंडे पुजारी पुरोहितों एसपी कलेक्टर ने लट्ठ घुमा कर व तलवार चलाकर परंपरा को निभाया, जिसके बाद गैर मंदिर प्रांगण से निकली भक्तों ने मंदिर प्रांगण में हर-हर महादेव के जयकारे लगाए जिसके बाद शहर भर में गैर निकाली गई.
रंग पंचमी पर निकलता है महाकाल ध्वज समारोह
उज्जैन में प्रत्येक वर्ष शहर में बड़े स्तर पर ध्वज चल समारोह निकलता है, लेकिन कोरोना के चलते दो साल से परमिशन नहीं मिलने के कारण भक्तो में उदासीनता थी जो अब दो साल बाद खत्म हुई और हजारों की संख्या में श्रद्धालु बाबा महाकाल की सेहरा दर्शन गेर में शामिल हुए. बाबा महाकालेश्वर की परंपरागत गेर में 11 ध्वज, 2 बैंड शामिल रहे. भगवान का सेहरा दर्शन और वीरभद्र भैरवनाथ का रथ के दर्शन खास आकर्षण रहे और हजारों की संख्या में श्रद्धालु गैर में शामिल हुए.
इन मार्गों से निकली चल यात्रा
देर शाम 7:00 बजे मंदिर प्रांगण से चल यात्रा निकली, जिसमें जनप्रतिनिधि प्रशासन पुलिस के अधिकारी शामिल रहे. गेर महाकाल मंदिर से तोपखाना मार्ग होते हुए दौलत गंज चौराहा फंवारा चौक, नई सड़क, कंठाल, सती गेट, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए महाकाल मंदिर पर समाप्त हुई.