मध्य प्रदेश

madhya pradesh

सतना की यह शिक्षिका महिलाओं के लिए बनी मिसाल, टीचिंग के साथ क्यूआर कोड के साथ लगाए 2000 पौधे, गौरैया संरक्षण भी किया

By

Published : Mar 8, 2022, 6:07 AM IST

शहर के शासकीय विद्यालय में पदस्थ महिला शिक्षिका की अनोखी पहल, जिन्होंने गौरैया संरक्षण, बीज संरक्षण के साथ वृक्षों की जानकारी के बारे में एक मिसाल के रूप में कार्य किया है.

SATNA LATEST NEWS
शिक्षिका बनी महिलाओं के लिए प्रेरणा

सतना।शहर के शासकीय विद्यालय में पदस्थ महिला शिक्षिका की अनोखी पहल, जिन्होंने गौरैया संरक्षण, बीज संरक्षण के साथ वृक्षों की जानकारी के बारे में एक मिसाल के रूप में कार्य किया है. इसके साथ ही वह महिलाओं के लिए एक प्रेरणा के रूप में हैं. ईटीवी भारत के माध्यम से हम आपको बताते हैं महिला शिक्षक के बारे में उन्होंने कैसे इस कार्य की शुरुआत की.

शिक्षिका बनी महिलाओं के लिए प्रेरणा

अर्चना निभा रहीं दोहरी जिम्मेदारी
महिलाएं हमेशा दोहरी जिम्मेदारी निभाती है, जो अपने परिवार के साथ साथ अपनी जिम्मेदारियों का भी निर्वहन पूरे लगन से करती हैं, जी हां हम बात कर रहे हैं ऐसे ही एक महिला शिक्षक डॉ अर्चना शुक्ला की, जो प्रदेश के सतना के शासकीय वेंकट क्रमांक 1 विद्यालय में शिक्षिका पद पर पदस्थ हैं. अर्चना ने गौराया संरक्षण, बीज संरक्षण और वृक्षों की खासियत के बारे में कार्य किया, जो कि एक मिसाल बन गया है.

ऐसे की शुरुआत
शासकीय विद्यालय में पदस्थ शिक्षिका डॉ अर्चना शुक्ला ने परिवारिक जिम्मेदारी के साथ साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन भी बखूबी निभाया है, उनके सामने एक तरफ परिवार और नौकरी की जिम्मेदारी थी. उसके बावजूद भी अपना समय निकालकर डॉ अर्चना शुक्ला ने अपनी शुरुआत वर्ष 2010 से गौरैया संरक्षण से की और वर्तमान समय में वह बीज संरक्षण और वृक्षों की जानकारी के बारे में प्रशंसनीय कार्य कर रही हैं. डॉ अर्चना शुक्ला ने पक्षियों के बारे में जानना और उनके बचाव को लेकर कई कार्य किए, कोरोना काल में भी अर्चना ने अपने कार्यों को निरंतर जारी रखा और बीज संरक्षण पर उन्होंने कार्य करना शुरू कर दिया.

स्कैन करते ही पता लगेगी वृक्ष की जानकारी
अर्चना ने लोगों के घरों से फलों से निकलने वाले बीजों को एकत्र करने का तरीका अपनाया और नगर निगम कमिश्नर की मदद से कचरा गाड़ियों के माध्यम से बीजों को इकट्ठा कर उसका संरक्षण भी किया. बीजों के माध्यम से पौधों को तैयार किया, इसके लिए उन्होंने नगर निगम और वन विभाग की भी मदद ली. अर्चना के द्वारा बहुत से वृक्ष बीजों से तैयार किये जा चुके हैं, इसके बाद अर्चना ने वृक्षों की खासियत के बारे में जानने के लिए क्यूआर कोड को जनरेट किया. वर्तमान स्थिति में उनके द्वारा सतना शहर के 71 पार्क में लगे वृक्ष एवं शासकीय महाविद्यालय में लगे वृक्षों पर क्यूआर कोड लगाए गए हैं, अभी तक अर्चना के द्वारा करीब चार हजार से अधिक वृक्षों पर क्यूआर कोड लगाए जा चुके हैं, जिसे स्कैन करते ही उस वृक्ष के बारे में पूरी जानकारी आपके मोबाइल फोन पर उपलब्ध हो जाएगी. इस माध्यम से सभी लोग बड़े आसानी से उस वृक्ष के बारे पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

जोश, जज्बा, जुनून और संघर्ष की मिसाल हैं मध्यप्रदेश की बेटियां

बीज एक वृक्ष के रूप में तैयार
डॉ अर्चना शुक्ला ने बताया कि, जब उनकी पहली पोस्टिंग वर्ष 2010 में सतना जिले के उचेहरा करहीकला शासकीय विद्यालय में हुई, वहां से उन्होंने गौरैया संरक्षण को लेकर 9वीं के बच्चों की मदद से कार्य को शुरू किया, उसके बाद उनकी पोस्टिंग सतना के शासकीय वेंकट क्रमांक वन विद्यालय में हुई. वेंकट क्रमांक वन से उन्होंने गौरैया संरक्षण के साथ-साथ बीजों का संरक्षण शुरू कर दिया, सबसे पहले उन्होंने सीताफल के 10 हजार 5 सौ बीजों को संरक्षित कर उनमें से करीब 2,000 से अधिक पौधों को तैयार किया, उसके बाद बीजों को सोनारा नर्सरी में लगवाया जहां आज बीज एक वृक्ष के रूप में तैयार होते जा रहे हैं. इतना ही नहीं, इस काम में अर्चना की 60 बच्चों की टीम पूरी मदद करती हैं, जिनकी मदद से यह कार्य संभव हो पा रहा है.

महिलाओं को संदेश
डॉ अर्चना शुक्ला ने अन्य महिलाओं को यह संदेश दिया है कि, हर महिला के अंदर खुद हर कार्य करने की क्षमता होती है. कार्य क्षमता के अनुसार, में अपने कार्य को करने के लिए निपुण होती हैं, इसलिए हर महिलाओं को पहले तो खुश रहना चाहिए जब वह खुश रहेंगे तब वह दूसरों को खुश रख पाएंगी, और समाज विवाह कुछ कर दिखाएंगी, इसलिए हर महिलाओं को अपने कार्य क्षमता को पहचानना चाहिए, तभी समाज के लिए वह एक प्रेरणा के रूप में साबित हो सके.

ABOUT THE AUTHOR

...view details