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किसानों का 'हल्लाबोल': खाद की किल्लत से परेशान होकर सड़कों पर लगाया जाम, रेलवे ट्रेक पर भी बैठे

खाद की किल्लत के चलते जिले के किसान जमकर परेशान हैं. मंगलवार को बंडा के किसानों ने जहां सागर-कानपुर हाईवे मार्ग जाम कर दिया, तो बीना के किसानों ने बीना-आगासोद मार्ग पर जाम लगाया. इसके बाद सभी ने रेलवे ट्रैक पर धरना दे दिया.

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Published : Oct 26, 2021, 6:53 PM IST

किसानों का 'हल्लाबोल'
किसानों का 'हल्लाबोल'

सागर।खाद की किल्लत के चलते जिले के किसान जमकर परेशान हैं. मंगलवार को बंडा के किसानों ने जहां सागर-कानपुर हाईवे मार्ग जाम कर दिया, तो बीना के किसानों ने बीना-आगासोद मार्ग पर जाम लगाया. इसके बाद भी जब खाद की समस्या नहीं सुनी तो किसानों ने बीना-कटनी रेल मार्ग को ही बाधित कर दिया. भारी संख्या में पहुंचे किसानों ने रेलवे ट्रैक पर धरना देकर विरोध जताया. इस दौरान दोनों तरफ से आने वाली कई ट्रेन और माल गाड़ियां बाधित हो गईं. किसानों का आरोप है कि सरकार ने उपचुनाव और यूपी चुनाव वाले इलाकों में खाद भेज दी है, इसलिए किसानों को खाद की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है.

किसानों का 'हल्लाबोल'

खाद के लिए टूट रहा है किसानों का सब्र
रबी फसल की बुवाई के लिए जरूरी खाद के लिए परेशान जिले के किसानों का सब्र का बांध अब टूट गया है. किसान अब सड़कों पर उतरने लगे हैं. प्रशासन लगातार संयम बरतने की सलाह दे रहा है और जल्द ही किल्लत खत्म करने की बात कर रहा है. लेकिन व्यवस्था बनाने में नाकाम साबित हो रहा है. इसी बात से परेशान किसान अब सड़कों पर उतर आए हैं.

किसानों ने किया विरोध प्रदर्शन
मंगलवार सुबह से ही जगह-जगह किसान अपनी नाराजगी जताई. बंडा के किसानों ने जहां खाद ना मिलने से परेशान होकर सागर-कानपुर हाईवे मार्ग बंद कर दिया, तो बीना के किसानों ने बीना रिफाइनरी के रास्ते बीना-आगासौद मार्ग को जाम कर दिया. यहां तक तो ठीक था, लेकिन बीना के किसान रेलवे ट्रैक पर उतर आए और बीना कटनी रेल मार्ग को बाधित कर दिया. भारी पुलिस बल की तैनाती और प्रशासन की समझाइश के बाद किसान ट्रक से हटे, तब जाकर यातायात सुचारू हो सका.

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उपचुनाव और यूपी चुनाव में भेजी खाद
आंदोलनरत किसानों का आरोप है कि जिले में खाद की समस्या सरकार द्वारा खाद उपचुनाव वाले इलाकों और यूपी में भेजे जाने के कारण आई है. किसानों को टोकन द्वारा खाद उपलब्ध कराए जाने की बात की जा रही है. लेकिन टोकन मिलने के बाद भी 3-3 दिन किसानों को भटकना पड़ रहा है और पर्याप्त खाद भी हासिल नहीं हो रही है.

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