जबलपुर। कोरोना महामारी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के अनुसार हाईकोर्ट ने सोमवार को संज्ञान याचिका की सुनवाई करते हुए सजायाफ्ता व अंडर ट्रायल कैदियों को अस्थाई जमानत का लाभ दिये जाने के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए थे. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक तथा जस्टिस वीके शुक्ला को बताया गया कि आदेश का परिपालन करते हुए हाई पाॅवर कमेटी के समक्ष संबंधित अधिवक्ताओं ने इस संबंध में सुझाव पेश किये हैं. प्रदेश सरकार द्वारा स्टेटस रिपोर्ट पेश नहीं किये जाने पर युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 23 जून निर्धारित की है.
संज्ञान याचिका की सुनवाई के दौरान पूर्व में जेल महानिदेशक ए कुमार की तरफ से बताया गया था कि 7 मई की स्थिति में प्रदेश की 131 जेल में 45,582 कैदी निरुद्ध हैं. प्रदेश के जेलों की कुल सक्षता 28,675 कैदियों की है. जेल में निरुद्ध 30,982 कैदी अंडर ट्रायल हैं और 14,600 कैदी सजायाफ्ता हैं. इसमें से 537 महिला कैदी हैं.
सर्वोच्च न्यायालय ने भी जेल में निरुद्ध सजायाफ्ता तथा अंडर ट्रायल कैदियों को स्थाई व अस्थाई जमानत दिये जाने के संबंध में राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश दिये थे.
प्रदेश सरकार की तरफ से बताया गया था कि प्रिजनर्स एक्ट में संशोधन किये जाने की जानकारी प्रस्तुत की गयी है. संशोधन के अनुसार. कोरोना महामारी के मद्देनजर कैदियों को 60 दिनों की पैरोल पर रिहा किया जा रहा है.
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कोर्ट मित्र-अधिवक्ताओं ने दिए थे सुझाव