जबलपुर।प्रदेश में लगातार बढ़ती बिजली की कमी को लेकर अब मध्य प्रदेश ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि विद्युत विभाग के तमाम अधिकारी अपने मंत्री के साथ मंथन करने में लगे हुए हैं. विद्युत विभाग के मुख्यालय जबलपुर शक्ति भवन में 3 दिन तक यह मंथन हो रहा है और इस मंथन के बाद देखा जाएगा कि क्या अमृत निकलता है जो कि आम जनता को बिजली की राहत दिलवाता है. (MP Energy Minister Pradyuman Singh Tomar exclusive interview)
बिजली संकट पर बोले ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर सवाल: विद्युत विभाग का तीन दिवसीय मंथन चल रहा है, क्या उद्देश है इस मंथन का?
जवाब: निश्चित रूप से मध्यप्रदेश के जबलपुर में तीन दिवसीय मंथन चल रहा है और इस मंथन में आपस में बैठकर बातचीत की जाएगी. इस मंथन में बाहर से भी लोगों को बुलाया है जिनसे नई तकनीकी के विषय में बात की जाएगी, इसके अलावा अपने अनुभवों को एक दूसरे से शेयर भी किया जाएगा. बाद में इस मंथन से जो अमृत निकलेगा वह आम उपभोक्ता तक पहुंचाएंगे.
सवाल: मध्यप्रदेश में कोयले की कमी लगातार बनी हुई है, जिसको लेकर सरकार भी गंभीर है. आगे और किस तरह की स्थिति बन सकती है?
जवाब: कोयले की कहीं से भी कमी नहीं है. हमारे पास ढाई से तीन लाख मैट्रिक टन कोयला स्टॉक में रखा हुआ है, जितनी हमें आवश्यकता है उतना कोयला हम ले रहे हैं और अब तो सड़क मार्ग से भी 3000000 मेट्रिक टन कोयला के लिए टेंडर कर दिया है. इसके अलावा विदेश से भी कोयला आएगा, कोई प्राकृतिक आपदा अगर नहीं हुई तो हम कोयले की संकट से निजात पा पाएंगे.
सवाल: प्रदेश में और अधिक बिजली का उत्पादन हो सके, इसके लिए ऊर्जा विभाग कोई प्लांट या फिर नई योजना बना रहा है क्या?
जवाब: हम सौर ऊर्जा से भी बिजली का उत्पादन कर रहे हैं जिससे कि बिजली की पूर्ति भी बढ़ाई जा रही है. हम नए प्लांट भी ला रहे हैं जिससे कि आम उपभोक्ताओं को बिजली की कमी से ना जूझना पड़े.
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सवाल: इस बिजली के संकट में सबसे ज्यादा अगर कोई परेशान हो रहा है तो वह किसान हैं, अघोषित कटौती लगातार हो रही है जिसके चलते किसानों की फसलों पर भी असर पड़ रहा है?
जवाब: देखिए अघोषित कटौती कभी-कभी होती है जो हमारी क्षमताएं हैं क्योंकि आज जो मांग की जा रही है वह साढ़े 12 हजार मेगावाट की है. हमारी तकरीबन साढ़े सात हजार क्षमता पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, और जल पर भी है जो कि प्राकृतिक के आधार पर है. इसमें अगर उत्पादन घटता बढ़ता है तो उस दिन हमारी मांग पर भी अंतर आ सकता है, पर यह कोई स्थाई नहीं है. अगर प्रकृतिक ने साथ दिया तो बिजली बढ़ेगी, हमारी कोशिश है कि सौर ऊर्जा से बिजली बढ़ाई जाए पर बिजली का यह संकट स्थाई नहीं है, अन्य प्रदेशों की तुलना में मध्यप्रदेश बेहतर है, और हम उपभोक्ताओं को अच्छी बिजली भी देंगे.
सवाल: प्रदेश में बिजली संकट गहराता जा रहा है, विपक्ष लगातार निशाना भी साथ रही है कि प्रदेश में बिजली की पूर्ति नहीं हो पा रही है?
जवाब: मैं मध्य प्रदेश के नेताओं से आग्रह करना चाहता हूं कि मेरे साथ राजस्थान चलें, महाराष्ट्र चलें वहां देखें चलकर की क्या हालात बने हुए हैं.