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जबलपुर हाईकोर्ट ने मेरिटोरियस OBC/SC/ST आरक्षकों को दी बड़ी राहत, DGP, ADG को नोटिस

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 2017 के मेरिटोरियस OBC/SC/ST आरक्षकों को प्रिफरेंस के आधार पर पोस्टिंग मामले में बड़ी राहत दी है. मामले की सुनवाई करते हए कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने आरक्षित वर्ग के योग्यता हासिल करने ओबीसी व एससीएसटी उम्मीदवारों को पसंद के आधार पर पदस्थापना देने का आदेश दिया है. (High Court Jabalpur)

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हाई कोर्ट जबलपुर

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Published : May 13, 2022, 2:06 PM IST

जबलपुर।मध्य प्रदेश हाईकार्ट ने आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस OBC/SC/ST आरक्षकों को राहत देते हुए डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस और एडीजी को 2 महीने के अंदर च्वाइस के आधार पर पोस्टिंग देने का आदेश दिए है. दरअसल साल 2017 की पुलिस भर्ती में आरक्षित वर्ग यानी OBC/SC/ST के अभ्यर्थियों का सिलेक्शन मुख्य मेरिट लिस्ट में हुआ था. बावजूद उनकी प्रिफरेंस के आधार पर पोस्टिंग नहीं दी गई थी. जबकि सभी अभ्यर्थियों का चयन अनारक्षित वर्ग में हुआ था. आसान भाषा में कहें तो रिजर्व कोटे के कैंडिडेट्स का सिलेक्शन मेरिट के आधार पर जेनरल कैटेगरी में हुआ. (Jabalpur High Court hearing case of 2017)

मेरिटोरियस OBC/SC/ST आरक्षकों को बड़ी राहत

2017 का था मामला: आरक्षित वर्ग के लोगों को अनारक्षित वर्ग में चयन होने के बाद भी सभी को SAF बटालियनों में पदथापना दी गई थी. जबकि उनको मेरिट के बेस पर जिला पुलिस बल,स्पेशल ब्रांच, क्राइम ब्रांच आदि शाखाओं में पदस्थापना दी जानी थी. लिहाजा याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया की पुलिस विभाग द्वारा वर्ष 2017 की भर्ती में अपनाई गई प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश और फैसले के अनुसार नहीं है. वकील ने बताया कि, सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने इंद्रा साहनी बनाम भारत संघ, भारत संघ बनाम रमेश राम, रीतेश आर शाह जैसे दर्जनों फैसलों से कोर्ट को अवगत कराया. (Notice to DGP and ADG)

चुनाव आयोग के पास जाएं याचिकाकर्ता-हाईकोर्ट

पदस्थापना देने का आदेश जारी:इस मामले में वकील ने कोर्ट को बताया की आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस अभ्यर्थी को अपनी पसंद के पद पर पोस्टिंग प्राप्त करने का कानूनी अधिकार है. याचिकाकर्ताओं ने अपनी पहली पसंद की वरीयता में जिला पुलिस बल, स्पेशल ब्रांच, आदि में दी थी. लेकिन पुलिस विभाग ने मनमाने रूप से पोस्टिंग कर दी. कोर्ट ने सुनवाई के बाद गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक, अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक को आदेश देते हुए 60 दिनों के अंदर याचिकाकर्ताओ को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के फैसलों के आधार पर उनकी पसंद के आधार पर पदस्थापना देने का आदेश दिया.

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