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देश में सबसे स्वच्छ इंदौर, अब जले हुए खाने के तेल से बनाएगा बायोडीजल, डोर-टू-डोर जाकर होगा कलेक्शन

आपको बता दें कि खाने-पीने का सामान बनाने या किसी चीज को तेल में तलने के बाद जो जला हुआ (अनुपयोगी) तेल बच जाता है उससे बायोडीजल तैयार किया जाएगा. प्रदेश के किसी शहर में यह अनूठी पहल पहली बार की जा रही है. खास बात यह है कि इसके लिए नगर निगम अब घरों और दुकानों से ऐसे जले हुए तेल को इकट्ठा करेगा. जला हुआ तेल के बदले में प्रशासन की तरफ से नकद राशि भी दी जाएगी.

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इंदौर, अब जले हुए खाने के तेल से बनाएगा बायोडीजल

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Published : Nov 17, 2021, 7:07 PM IST

इंदौर।देश भर में स्वच्छता में टॉप और अपने स्वादिष्ट खानपान के लिए प्रसिद्ध इंदौर अब एक और नवाचार करने जा रहा है. यहां अनुपयोगी तेल से बायोडीजल तैयार किया जाएगा. आपको बता दें कि खाने-पीने का सामान बनाने या किसी चीज को तेल में तलने के बाद जो जला हुआ (अनुपयोगी) तेल बच जाता है उससे बायोडीजल तैयार किया जाएगा. प्रदेश के किसी शहर में यह अनूठी पहल पहली बार की जा रही है. खास बात यह है कि इसके लिए नगर निगम अब घरों और दुकानों से ऐसे जले हुए तेल को इकट्ठा करेगा. जला हुआ तेल के बदले में प्रशासन की तरफ से नकद राशि भी दी जाएगी.

इंदौर, अब जले हुए खाने के तेल से बनाएगा बायोडीजल
व्यवसायिक और रहवासी इलाकों में चलाई जाएगी योजनाआपको बता दें कि कम से कम तीन बार उपयोग किया जा चुका खाद्य तेल फिर से यूज किए जाने लायक नहीं होता है. अब इस जले हुए तेल को इंदौर नगर निगम आपसे खरीदेगा. हालांकि कि शहर के प्रमुख व्यवसायिक बाजारों में यह योजना पहले से चलाई जा रही थी, लेकिन अब इसे रहवासी इलाकों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए भी लागू कर दिया गया है. इसके लिए जिस तरह शहर में घर घर से डोर टू डोर कचरा कलेक्शन होता है उसी तर्ज पर अब डोर टू डोर जला हुआ तेल कलेक्शन भी किया जाएगा. नगर निगम जो तेल होटलों दुकानों और घरों से लेगा उसमें 1 लीटर तेल के बदले में ₹30 /लीटर के हिसाब से भुगतान भी करेगा.
इंदौर, अब जले हुए खाने के तेल से बनाएगा बायोडीजल

कंपनी से हुआ बायोडीजल तैयार करने का अनुबंध

इस नवाचार योजना के तरह शहर भर में कलेक्शन के बाद जो तेल जमा होगा उसे रुको नाम की एक कंपनी को सौंपा जाएगा. इंदौर नगर निगम ने इस कंपनी के साथ जले हुए तेल से बायोडीजल तैयार करने का अनुबंध किया है. जले हुए तेल से जो भी बायोडीजल तैयार होगा उसे जरूरत के हिसाब से इंदौर नगर निगम और एआईसीटीएसएल की बसों में उपयोग किया जाएगा. इससे नगर निगम को ईंधन के रूप में खर्च होने वाली बड़ी राशि से मुक्ति तो मिलेगी ही इसके अलावा नगर निगम को बायोडीजल तैयार करने वाली कंपनी से रॉयल्टी के नाम पर हर साल एक बड़ी रकम भी मिलेगी.

इंदौर, अब जले हुए खाने के तेल से बनाएगा बायोडीजल

कैंसर का कारण बनता है जला हुआ तेल
चिकित्सकों के मुताबिक जले हुए तेल से भोजन तैयार करने और तेल के बार बार जलने से उसमें निकोटिन तत्व पैदा होता है. यह बाद में घातक टार का रूप ले लेता है. यही टार पेट में जाकर कैंसर का कारण बनता है. इसके अलावा उपयोग किए गए तेल को यहां-वहां फेंकने से गंदगी और प्रदूषण का खतरा रहता है. यही वजह है कि इंदौर नगर निगम अब इस अभियान को स्वच्छता अभियान की तरह ही पूरे शहर में लागू करने जा रहा है.


56 दुकान और सराफा चौपाटी हैं जले तेल से मुक्त फूड जोन
देश भर में प्रसिद्ध इंदौर के 56 दुकान और सराफा चौपाटी पहले से ही क्लीन स्ट्रीट फूड जोन हैं. भारत सरकार के खाद्य मंत्रालय ने इन दोनों फूड जोन को क्लीन स्ट्रीट फूड जोन का सर्टिफिकेट भी दिया हुआ है. जिसमें जले हुए तेल के उपयोग के निर्धारण से संबंधी शर्त पहले से ही तय की गई थी लिहाजा 56 दुकान और सराफा चौपाटी पहले से ही जले हुए तेल से मुक्त फूड जोन हैं. यहां सभी दुकानदार एक बार उपयोग किए हुए तेल को चौथी बार पकवान बनाने में उपयोग नहीं कर सकते.

ऑनलाइन मिल रहा है पेमेंट
शहर के बड़े व्यवसायिक प्रतिष्ठानों, नमकीन विक्रेताओं के अलावा फूड जोन से जो तेल जमा किया जा रहा है उसका पेमेंट संबंधित कंपनी दुकानदारों के खाते में ऑनलाइन कर रही है. अब नगर निगम की कोशिश है कि रिहायशी क्षेत्रों में में भी क्षेत्रीय संघों को सक्रिय किया जाए जो घर घर से जला हुआ तेल इकट्ठा करके उसे एक स्थान पर रखेंगे. यहां से नगर निगम की गाड़ी जले हुए तेल को बायोडीजल प्लांट तक पहुंचाएगी. जिसके बाद कंपनी में इसके जरिए बायोडीजल तैयार किया जाएगा. नगर निगम इसके लिए जागरूकता अभियान भी चला रहा है.

शुद्धता और पर्यावरण की दिशा में बड़ा कदम
इंदौर देश का एकमात्र शहर है जिसे कार्बन उत्सर्जन के निस्तारण और कार्बन डेटिंग के लिए प्रतिवर्ष केंद्र सरकार से एक बड़ी राशि प्राप्त हो रही है. अब जले हुए तेल से बायोडीजल बनाने की पहल भी पर्यावरण और स्वास्थ्य की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है. इसके अलावा इंदौर में होने वाले करोड़ों रुपए के नमकीन व्यवसाय को भी खाने-पीने में शुद्धता के लिहाज की जा रही इस पहल से मदद मिलेगी क्योंकि अब नमकीन बनाने में भी जले हुए तेल का उपयोग नहीं हो सकेगा जिससे उपभोक्ताओं का उत्पादों पर भरोसा भी बढ़ेगा.

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