इंदौर। शनि देव के क्रोधी स्वभाव से सभी को डर लगता है. लेकिन, जब वे किसी पर प्रसन्न होते हैं तो उसके जीवन में किसी भी तरह की बाधा नहीं आने देते. इंदौर से 30 किलोमीटर दूर एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान शनिदेव की काले पत्थर की प्रतिमा नवग्रहों के साथ स्थापित है. इस मंदिर से जुड़ी मान्यता और चमत्कार बहुत प्रसिद्ध हैं.
नवग्रहों के साथ यहां विराजे हैं शनिदेव, भक्तों की पूरी करते हैं मुराद
नवग्रह मंदिर का निर्माण इंदौर-खंडवा रोड पर इंदौर से 30 किलोमीटर दूर विंध्याचल की पहाड़ियों पर बसा गांव में किया गया था. इस मंदिर का इतिहास तो ज्यादा पुराना नहीं है, लेकिन मंदिर से जुड़ी मान्यता और चमत्कार काफी प्रसिद्ध हैं. इस मंदिर में नवग्रह के सभी देवताओं के साथ दुर्लभ उत्तरमुखी गणेश और दक्षिणमुखी बजरंगबली की प्रतिमा स्थापित है.
नवग्रह मंदिर का निर्माण इंदौर-खंडवा रोड पर इंदौर से 30 किलोमीटर दूर विंध्याचल की पहाड़ियों पर बसा गांव में किया गया था. इस मंदिर का इतिहास तो ज्यादा पुराना नहीं है, लेकिन मंदिर से जुड़ी मान्यता और चमत्कार काफी प्रसिद्ध हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में नवग्रह के सभी देवताओं के साथ दुर्लभ उत्तरमुखी गणेश और दक्षिणमुखी बजरंगबली की प्रतिमा स्थापित है. कोई भी श्रद्धालु लगातार पांच शनिवार शनि मंदिर पहुंचकर शनि देव और अन्य ग्रहों की 11 परिक्रमा करता है, तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
शनि मंदिर पर देश के कोने-कोने से विशेषकर शनिवार को यहां हजारों श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं. ओंकारेश्वर जाने वाले श्रद्धालू यहां दर्शन के लिए जरुर रुकते हैं. यहां शनिदेव की प्रतिमा पर तेल और काले तिल अर्पण करना विशेष माना जाता है. मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि यहां भगवान शनि की छोटी प्रतिमा स्वयंभू प्रतिमा है. मंदिर के संस्थापक मधुबाला सुरेंद्र मीणा यहां एक धर्मशाला का निर्माण करना चाहते थे, धर्मशाला निर्माण के समय उन्हें एक सपना आया जिसमें भगवान शनिदेव ने नया मंदिर बनाने के लिए कहा. जब यहां खुदाई की गई तब खुदाई के दौरान शनिदेव की प्राचीन मूर्ति निकली, जिसके बाद भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया.