इंदौर।देशभर में इन दिनों जहां नवरात्र की तैयारियां शुरू हो गई हैं, वहीं नवरात्र दुर्गा पूजा (Durga Puja) को लेकर तरह-तरह की प्रतिमाएं भी तैयार हो रही हैं. इन प्रतिमाओं को लेकर खास बात यह है कि सदियों बाद भी यह मूर्तियां कोलकाता के सोनागाछी (Sonagachi) से आने वाली मिट्टी को मिलाकर तैयार होती हैं. जिन्हें आज भी देवी के वरदान स्वरूप पूरे नवरात्र के अवसर पर पूजा जाता है.
देशभर में होता है सोनागाछी की मिट्टी का प्रयोग
दरअसल, पश्चिम बंगाल में मान्यता है कि सदियों पहले दुर्गा मां ने अपनी एक वैश्या भक्त को सामाजिक तिरस्कार से बचाने के लिए वरदान दिया था कि गंगा नदी की जो चिकनी मिट्टी तुम्हारे द्वारा लोगों को दी जाएगी, उसी से दुर्गा प्रतिमा बनेगी. इसके बाद से ही पूरे देश में बनने वाली दुर्गा प्रतिमाओं में सोनागाछी से लाई जाने वाली मिट्टी का प्रयोग जरूर होता है.
सोनागाछी में आज भी होती है वेश्यावृत्ति
दरअसल, कोलकाता का सोनागाछी इलाका रेड लाइट एरिया (Sonagachi Red Light Area) है. जहां आज भी वैश्या गतिविधियां होती हैं, लेकिन मूर्ति निर्माण में माता का यह वरदान आज भी हुबहू प्रचलित है. इस समय मध्य प्रदेश के इंदौर, छिंदवाड़ा, भोपाल, देवास आदि इलाकों में जो दुर्गा प्रतिमाएं तैयार की जा रही हैं. उनकी मिट्टी में मूर्तिकार मान्यता के अनुरूप आंशिक तौर पर सोनागाछी की मिट्टी जरूर मिलाते हैं. बंगाल में मान्यता है कि इस मिट्टी में माता का वरदान एवं आशीर्वाद है, जिसके कारण उनकी पूजा सफल होगी.