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इंदौर में जारी है कोविड-19 से लड़ाई, कोरोना वॉरियर्स को नहीं है सांस लेने की फुर्सत

इंदौर में बढ़ते कोरोना के मामलों पर लगाम लगाने में शहर के पूरे डॉक्टरों की फौज जुटी है. शहर के सबसे बड़े अस्पताल में 150 डॉक्टरों समेत सरकारी क्षेत्र के लगभग 600 स्वास्थ्यकर्मी भी कोविड-19 के खिलाफ इंदौर में अलग-अलग स्तरों पर जारी जंग में शामिल हैं.

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इंदौर में जारी है कोविड-19 से लड़ाई

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Published : Apr 11, 2020, 5:37 PM IST

इंदौर। इंदौर में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. कोविड-19 के प्रकोप के चलते यहां के एक निजी अस्पताल के हदय रोग विभाग के प्रमुख रवि डोसी को जैसे सांस लेने भर की फुर्सत नहीं है. डॉक्टर नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ की उस 100 सदस्यीय टीम के प्रमुख हैं जो कोविड-19 के "हॉटस्पॉट" बने इस शहर में पिछले कई दिनों से अपने परिवार से अलग रहकर इस महामारी के मरीजों के इलाज में जुटी है.

अस्पताल के वार्डो से लेकर आईसीयू तक लगातार दौड़-भाग कर रहे 39 वर्षीय डॉक्टर अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज सैम्स में काम करते हैं. करीब 1 हजार 150 बिस्तरों वाले अस्पताल के प्रबंधन का दावा है कि इस चिकित्सा संस्थान में एक ही वक्त पर कोविड-19 के देशभर में सर्वाधिक मरीजों का इलाज किया जा रहा है. निजी सुरक्षा उपकरणों पीपीई से लैस डोसी ने शनिवार को बताया. हमारे अस्पताल में फिलहाल करीब 130 मरीज भर्ती हैं जिनमें से सात आईसीयू में हैं. इलाज के बाद स्वस्थ पाये जाने पर 25 मरीजों को पहले ही अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है.

रोज आ रहे सर्दी-खांसी के मामले

डॉक्टर ने बताया कि गले में खराश, सर्दी-खांसी और बुखार जैसे लक्षणों के साथ कोविड-19 के औसतन 10 नये मरीज हमारे पास रोज आ रहे हैं. पहले मरीज गंभीर हालत में अस्पताल पहुंच रहे थे. लेकिन अब इस महामारी को लेकर जागरूकता बढ़ने पर अपेक्षाकृत कम गंभीर स्थिति वाले मरीज आ रहे हैं. डॉ डोसी ने बताया कि कोविड-19 के मरीजों में ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप दमा और श्वासन तंत्र से जुड़ी बीमारियों से पहले से जूझ रहे हैं. इनमें ऐसे कई मरीज भी शामिल हैं जिनके फेफड़े लम्बे समय तक धूम्रपान करने से कमजोर हो चुके हैं.

अपनी तेज कारोबारी और औद्योगिक हलचलों के लिए मिनी मुंबई कहे जाने वाले इंदौर में कोरोना वायरस के मरीज मिलने के बाद से प्रशासन ने 25 मार्च से शहरी सीमा में कर्फ्यू लगा रखा है. पिछले 18 दिन से शहर में कोरोना वायरस संक्रमण के 249 मरीज मिले हैं. इनमें से 30 लोग इलाज के दौरान दम तोड़ चुके हैं. यानी फिलहाल शहर में कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर 12 प्रतिशत के आस-पास है.आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि शहर में इस महामारी के मरीजों की मृत्यु दर पिछले कई दिन से राष्ट्रीय स्तर के मुकाबले कहीं ज्यादा बनी हुई है. इससे चिकित्सा समुदाय की चिंतायें बढ़ती जा रही हैं.

डॉक्टर का दावा है कि इंदौर में अब तक कोरोना वायरस संक्रमण का सामुदायिक प्रसार नहीं हुआ है. उन्होंने कहा ज्यादातर मरीज ऐसे हैं जो या तो पहले ही क्वारेनटाइन थे. या उनका कोई पारिवारिक सदस्य अथवा परिचित इस बीमारी की चपेट में आ चुका है. फिलहाल बतौर डॉक्टर मेरे लिये सबसे बड़ी चुनौती कोविड-19 को लेकर समाज में व्याप्त अति नकारात्मकता से खुद को बचाना है. मैं खुद को हमेशा प्रोत्साहित रखने की कोशिश करता हूं क्योंकि मुझे पता है कि इस महामारी के खिलाफ लड़ाई लम्बी चलने वाली है.

तीन हजार लोगों की हो चुकी है जांच

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी प्रवीण जड़िया ने बताया कि 150 डॉक्टरों समेत सरकारी क्षेत्र के लगभग 600 स्वास्थ्यकर्मी भी कोविड-19 के खिलाफ इंदौर में अलग-अलग स्तरों पर जारी जंग में शामिल हैं. सैम्स के अलावा शहर के शासकीय एमआरटीबी अस्पताल और एक अन्य निजी अस्पताल में भी इस महामारी के मरीज भर्ती है. सरकारी अधिकारियों के मुताबिक 30 लाख से ज्यादा आबादी वाले इंदौर में मार्च के आखिर में कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू हुआ था. अब तक इस महामारी को लेकर इंदौर और आस-पास के जिलों के करीब 3,000 लोगों के नमूनों की अलग-अलग प्रयोगशालाओं में जांच हुई है.

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