ग्वालियर।मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में कूनो अभ्यारण इस समय पूरे देश भर में चर्चाओं में बना हुआ है और इसका कारण है कि 17 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी चीतों को बसाने आ रहे हैं. लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि इन चीजों को शिकारियों से कैसे बचाए जाएगा, क्योंकि कूनो अभ्यारण में जंगली जानवर हमेशा शिकारियों के टारगेट पर रहते है और हर साल आसपास के शिकारी यहां कई जंगली जानवरों का शिकार कर चुके हैं. यहां पर सुरक्षा का अभाव होने के कारण शिकारी कूनो अभ्यारण और उसके आसपास शिकार करने के लिए कई बार पकड़े गए हैं, यही वजह है कि हर साल शिकारियों के द्वारा शिकार किया जाता है. लेकिन अब जिस तरीके से कूनो अभ्यारण में चीतों को बताया जा रहा है, इसको लेकर कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं.
अभ्यारण के आसपास किए गए हैं जंगली जानवरों के शिकार:श्योपुर जिला आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है और यहां पर सबसे ज्यादा आदिवासी पाए जाते हैं, यही कारण है कि वह अपने पेट भरने के लिए जंगली जानवरों का शिकार करते हैं. इसके साथ ही यहां शिकार करने वाली शिकारी आसपास के है, यही कारण है कि वह लगातार मौका मिलते ही कूनो अभ्यारण और उसके आसपास जंगली जानवरों का शिकार करते पकड़े गए हैं.
-साल 2017 में वन विभाग की स्पेशल टास्क फोर्स टीम ने दूसरे कार्यों को पकड़ा था, शिकारियों से तेंदुए की खाल और शिकार के लिए हथियार जप्त किए थे. दोनों शिकारी कूनो अभ्यारण में वन्यजीवों का अपना शिकार बनाते थे, जब इन दोनों की तलाशी ली गई तो बक्से में तेंदुए की खाल इसके साथ ही बंदूक, जहर की सीसी, टाइगर ट्रैप, वन्य प्राणियों के बाल और शिकार के अन्य औजार जप्त किए गए.
- साल 2018 में सिरोही के जंगल में हिरण का शिकार कर भाग रही पांच शिकारियों को वन विभाग की टीम ने पकड़ा था, शिकारियों सिमरत चिंकारा और शिकार में उपयोग होने वाले हत्यार और अन्य सामान जप्त किए थे.
- वहीं साल 2021 में वन मंडल की टीम ने चीतल का शिकार ले जाते 3 लोगों को पकड़ा था.
- इसके साथ ही साल 2022 में एक ही दिन दो अलग-अलग स्थानों से तेंदुए के शव मिलने से हड़कंप मच गया था, बुढेरा के जंगल में मिला यह तेंदुआ का शव कूनो नेशनल पार्क का बताया गया. इन दोनों मृतक तेंदुए के शरीर पर चोट के निशान पाए गए थे.
- इतना ही नहीं इसके अलावा भी कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसमें शिकारियों की द्वारा तेंदुए, हिरन के साथ-साथ अन्य जानवरों को शिकार बनाया गया है.