ग्वालियर। मध्य प्रदेश की जीवाजी यूनिवर्सिटी इन दिनों शिक्षकों के अभाव से जूझ रही है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि जीवाजी विश्वविद्यालय के तीन दर्जन से अधिक विभाग शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं. जीवाजी विश्वविद्यालय में पिछले 10 साल से शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई है, यही कारण है कि ज्यादातर कोर्स अतिथि विद्वानों के भरोसे चल रहे हैं. विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से जीवाजी विश्वविद्यालय में 218 स्थाई शिक्षकों की कमी है, जिसका असर छात्रों की शिक्षा व्यवस्था पर देखने को मिल रहा है. वहीं दूसरी ओर जीवाजी विश्वविद्यालय प्रबंधन ए++ ग्रेड के लिए दावा कर रहा है, लेकिन विश्वविद्यालय के दावों के बीच शिक्षकों की कमी अच्छे ग्रेड में आड़े आ सकती है.
जीवाजी विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी: मध्य प्रदेश का जीवाजी विश्वविद्यालय वैसे तो हमेशा नकल और अव्यवस्थाओं को लेकर चर्चा में रहता है. क्योंकि यहां पर आए दिन छात्रों के द्वारा प्रदर्शन और तालाबंदी की जाती है. लेकिन जीवाजी विश्वविद्यालय में हो रही शिक्षकों की कमी से शिक्षा व्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ रहा है. इस नाकामी को सरकार से लेकर उच्च शिक्षा विभाग छुपाने का काम कर रहा है. मध्य प्रदेश के अकेले जीवाजी विश्वविद्यालय में 70 फीसदी शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं. इसके साथ ही जीवाजी पिछले तीन साल से डिस्टेंस कोर्स संचालित करने की योजना बना रही है, लेकिन शिक्षकों की भर्ती न होने के कारण यह हर साल अधर में लटक जाता है. इस मामले को लेकर जीवाजी विश्वविद्यालय के सह कुलसचिव सुशील मंडेलिया ने कई बार उच्च शिक्षा विभाग को शिक्षकों की कमी के लिए पत्र भेजा है, लेकिन इस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.