ग्वालियर। मध्यप्रदेश में अगले महीने पंचायत चुनाव होने हैं. जब भी चुनावों का ऐलान होता है, तो ग्वालियर-चंबल अंचल में पुलिस की धड़कनें तेज हो जाती है. क्योंकि चुनावों में यहां अवैध हथियारों की तस्करी बढ़ जाती है और इसको रोकना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन जाती है. यही वजह है कि पंचायत चुनाव का ऐलान होने के बाद पुलिस ने अब अपने मुखबिर तंत्रो को मजबूत करना शुरू कर दिया है. इसके साथ ही ग्वालियर-चंबल अंचल के बॉर्डर पर तेजी से सख्ती लाने के निर्देश दिए हैं. क्योंकि अंचल में भारी मात्रा में अवैध हथियारों की तस्करी की जाती है और इसका उपयोग चुनावों में लोगों को डराने, धमकाने और हत्या के प्रयासों जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है.
पड़ोसी राज्यों से होती है तस्करी: ग्वालियर-चंबल इलाका वैसे तो डाकुओं के नाम से बदनाम है. अब इस इलाके में डाकू तो नहीं रहे, अब यह इलाका अवैध हथियारों की तस्करी के लिए जाना और पहचाना जाता है. ग्वालियर-चंबल अंचल में अवैध हथियारों की तस्करी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा से होती है. हालांकि पुलिस लगातार अवैध हथियारों को लेकर कार्रवाई भी करती रहती है. इसके बावजूद भी अवैध हथियारों का तस्करी का खेल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. चंबल में अवैध हथियारों की तस्करी उस समय कई गुना हो जाती है. जब चुनाव का ऐलान होता है. पंचायत चुनाव के ऐलान के बाद अंचल में अवैध हथियारों की तस्करी में लगातार तेजी की संभावना है. यही वजह है कि अवैध हथियारों को रोकना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है.
चुनाव के दौरान अवैध हथियारों का ज्यादा उपयोग: मध्यप्रदेश में जून में पंचायत चुनाव होने हैं. ऐसे में हर बार देखा जाता है कि, पंचायत चुनाव में लोग अपनी राजनीतिक दुश्मनी के साथ-साथ, आपसी रंजिश और डराने, धमकाने के लिए अवैध हथियारों का सबसे ज्यादा उपयोग करते हैं. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि चुनाव के वक्त लाइसेंसी बंदूक थाने में जमा हो जाती हैं और इसी के चलते लोग अवैध हथियारों का ज्यादा उपयोग करते हैं. यही वजह है कि चुनाव के समय ग्वालियर-चंबल अंचल में सबसे ज्यादा अवैध हथियार खरीदे जाते हैं और उसका उपयोग चुनाव में किया जाता हैं. हर बार चुनावों में अवैध हथियारों के जरिए हत्या के प्रयास, रंगदारी जैसे कई दर्जनों घटनाएं सामने आती है, जिससे पूरा चुनाव प्रभावित होता है.
अंचल में एक लाख से ज्यादा शस्त्र लाइसेंस: ग्वालियर-चंबल अंचल में लगभग एक लाख से अधिक शस्त्र लाइसेंस है. अकेले ग्वालियर की बात करें, तो 32000 लाइसेंसी बंदूक हैं, जो प्रदेश में सबसे ज्यादा है. चुनाव के वक्त यह सभी शस्त्र लाइसेंस और हथियार थाने में जमा हो जाते हैं. ऐसे में चुनाव के वक्त सिर्फ अवैध हथियार ही काम आता है, यही वजह है कि अंचल में हथियारों की तस्करी करने वाले गिरोह ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं. हथियारों की तस्करी करने वाले गिरोह उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान से आकर अंचल में अवैध हथियार खपाते हैं.