ग्वालियर। केंद्र सरकार और मेडिकल एक्सपर्ट कोराना की तीसरी लहर से सावधान रहने की चेतावनी पहले ही दे चुके हैं. इसे लेकर प्रदेश सरकार को जिला प्रशासन विशेष सतर्कता भी बरत रहा है और तीसरी लहर के संक्रमण को रोकने की तैयारियों में जुटा हुआ है. इसके लिए जिले का स्वास्थ्य विभाग बच्चों में पहले से ही मौजूद एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए उनका एंटीबॉडीज न्यूट्रलाइजिंग टेस्ट कराएगा. विभाग ने इसके लिए 400 बच्चों को चिन्हित किया गया है जिनके न्यूट्रिलाइजिंग टेस्ट के बाद यह पता लगाया जाएगा कि इन बच्चों में एंटीबॉडीज बनी है या नहीं. इस टेस्ट के यह भी पता चल सकेगा कि इन बच्चों की बॉडी में जो एंटीबाॉडी बनी हैं वे कोरोना से लड़ाई में कारगर हैं या नहीं
न्यूट्रिलाइजिंग एंटीबॉडीज टेस्ट करने वाला पहला जिला है ग्वालियर
बच्चों में एंटीबॉडी का पता करने के लिए होगा न्यूट्रलाइजिंग टेस्ट कोरोना वायरस की तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है. इसलिए जिला स्वास्थय विभाग ने तीसरी लहर के आने से पहले ही बच्चों का एंटीबॉडीज न्यूट्रिलाइजिंग टेस्क कराने का फैसला लिया है. ऐसा करने वाला ग्वालियर प्रदेश का पहले जिला होगा. इस टेस्ट के जरिए चिन्हित किए गए बच्चों के शरीर में जो एंटीबाॉडीज बनी हैं वे कोरोना से लड़ने में कितनी कारगर साबित हैं इसकी स्टडी की जाएगी.
400 बच्चों का होगा न्यूट्रलाइजिंग टेस्ट
जिला स्वास्थ्य अधिकारी के मुताबिक जिले में कुल 400 बच्चों का न्यूट्रलाइजिंग टेस्ट किया जाएगा. इनमें 200 बच्चे शहरी इलाके के और 200 ग्रामीण इलाकों के होंगे.
- इन सभी बच्चों में आधे से ज्यादा ऐसे बच्चे शामिल होंगे जिनके घर में कोई न कोई परिजन कोरोना पॉजिटिव हो चुका है.
- आधे बच्चे ऐसे होंगे जिनके परिवार में कोई अभी तक कोई कोरोना संक्रमित नहीं पाया गया है.
क्या है और कैसे होता है न्यूट्रलाइजिंग टेस्ट
- न्यूट्रलाइजिंग टेस्ट के माध्यम से शरीर में ऐसी एंटीबॉडीज का पता लगाया जाता है, जो कोरोना वायरस से लड़ने में सक्षम होती है.
- यह एंटीबॉडी वायरस को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने से पहले ही बेअसर कर देती है.
- ऐसा होने से मानव शरीर संक्रमण से बच जाता हैं.
- यही वजह है कि जिला स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की टीम कोरोना की तीसरी लहर से पहले 400 से अधिक बच्चों का न्यूट्रलाइजिंग टेस्ट कराने की प्लानिंग की है.
- न्यूट्रिलाइजिंग एंडीबॉडीज टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल लिया जाता है जिससे यह पता लगाया जाता है कि शरीर में जो एंटीबॉडी बनी है वह कोरोना से लड़ने में सक्षम है या नहीं.
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जिन घरों में 18 साल से अधिक उम्र के लोग हुए हैं संक्रमित वहां से लेंगे सेंपल
ग्वालियर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने राज्य सरकार को संबंधित प्लानिंग को लेकर प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है. इसकी मंजूरी मिलते ही सर्वे का काम शुरू कर दिया जाएगा. शहर और ग्रामीण क्षेत्र के 200-200 ऐसे घर चिन्हित किए जाएंगे जिनमें 18 से अधिक आयु के सदस्य संक्रमित हुए हैं. प्रत्येक घर में से एक बच्चे का सैंपल लिया जाएगा. जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मनीष शर्मा ने ईटीवी भारत को बताया कि इन बच्चों का न्यूट्रलाइजिंग टेस्ट कराने में लगभग 8 लाख रुपए का खर्चा आएगा।
बच्चों को बचाना है प्राथमिकता
कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के संक्रमण की रोकथाम और इसके बच्चों पर पड़ने वाले घातक असर की संभावना को देखते हुए जिला प्रशासन और स्वास्थ विभाग बच्चों को इससे बचाने की दिशा में अपने प्रयास शुरू कर चुका है. सिर्फ न्यूट्रिलाइजिंग टेस्ट ही नहीं, जिले के हॉस्पिटल्स में एसएनसीयू और आईसीयू वार्ड बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी गई है. इसके साथ ही बच्चों के लिए आवश्यक दवाओं, मेडिकल उपरकरणों और मास्क का भी स्टॉक किया जा रहा है.