ग्वालियर। नाबालिग लड़की को झांसे में लेकर उसके साथ दुष्कर्म करने वाले तीन आरोपियों को विशेष पॉक्सो अदालत ने 20-20 साल की सजा से दंडित किया है .दुष्कर्मियों पर अर्थदंड भी(20 years jail gang rape accused) लगाया गया है.
नाबालिग से गैंग रेप
आमला में खेत पर काम करने के दौरान आरोपी से लड़की की मुलाकात हुई थी. आरोपी ने लड़की को अपने प्रेम जाल में फंसाया . इसके बाद आरोपी ग्वालियर आ गया. उसने 23 जनवरी 2014 को लड़की को मिलने के लिए ग्वालियर बुलवाया .लड़की( ( POCSO court decision gwalior)) प्रेम जाल में फंस कर ग्वालियर तक आ गई. यहां उसे महल गांव में अपने दोस्त के कमरे पर ले गया और उसके साथ रात में दुष्कर्म किया. दूसरे दिन आरोपी लड़की को अकेला छोड़ कर कहीं चला गया और 1 दिन बाद आने की कहकर गायब हो गया.
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पॉक्सो कोर्ट ने सुनाई सजा
इस बीच दो और आरोपियों ने भी लड़की को बस स्टैंड छोडऩे के बहाने साइड में खड़ी एक बस में ले जाकर अपनी हवस का शिकार बनाया. लड़की वापस किसी तरह आमला पहुंची और अपने परिजनों को घटना के बारे में बताया. माता पिता के साथ लड़की ग्वालियर आई और उसने सभी आरोपियों के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया. विश्वविद्यालय पुलिस ने दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था. विशेष अदालत ने तीनों आरोपियों को उनके जघन्य कृत्य को देखते हुए 20-20 साल की सजा से दंडित किया है.
अंतर्राष्ट्रीय वन्य जीव तस्करी केस में आरोपी बरी
सागर। लाल तिलकधारी कछुओं की तस्करी के मामले में सागर जिला न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला करते हुए दो अभियुक्तों विजय गौड़ और कैलाश चच्चा को छोड़कर सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया है. 4 माह पूर्व 19 जुलाई 2021 को सागर जिला न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने इस मामले में सभी आरोपियों को अंतर्राष्ट्रीय तस्कर गिरोह कहा बताते हुए अधिकतम 7 साल की सजा के साथ भारी जुर्माने से दंडित किया था. लेकिन शनिवार को सागर जिला सत्र न्यायालय के प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश एस एस चौहान अपने 148 पृष्ठ के फैसले में दो आरोपियों को छोड़ सभी आरोपियों को बरी कर दिया है.
क्या है मामला
2017 में स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स भोपाल ने गिरोह का पर्दाफाश किया था. गिरोह पिछले 7- 8 साल से चंबल नदी में पाए जाने वाले लाल तिलकधारी कछुए और पैंगोलिन के शल्क की तस्करी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कर रहा था. 5 मई 2017 को रीजनल टाइगर स्ट्राइक फोर्स सागर और स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स की संयुक्त टीम ने श्योपुर जिले के संबलगढ़ वन परिक्षेत्र के मोंगिया पुरा में नंदलाल के घर छापा मारा था. तब उसके घर से अनुसूची एक के तहत प्रतिबंधित विलुप्त प्राय प्राणी पैंगोलिन के शल्क मिले थे. उसके तत्काल बाद नंदलाल को हिरासत में लिया गया था. तत्कालीन जांचकर्ता अधिकारी श्रद्धा पंदरे ने जब आरोपी को ट्रांजिट रिमांड पर लेकर पूछताछ की, तो लंबे समय से वन्य प्राणियों की तस्करी में लिप्त एक बड़े संगठित गिरोह का पर्दाफाश हुआ था.
सागर न्यायालय के सीजेएम कोर्ट ने सुनाई थी सजा
19 जुलाई 21 को सागर जिला न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विवेक पाठक ने बहुचर्चित मामले में सभी अभियुक्त गणों को वन्य प्राणियों एवं लालधारी कछुए के अंतर्राष्ट्रीय तस्कर गिरोह का सदस्य बताते हुए सभी को वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 2, 9, 39, 44, 48 ए, 49 बी 51 एवं 52 के अंतर्गत अधिकतम 7-7 साल की कठोरतम सजा और सभी अभियुक्त गणों को तीन श्रेणियों में बांटते हुए 20-20 हजार,50-50 हजार, 5-5 लाख अर्थदंड से दंडित किया गया था। ये सभी अभियुक्त मई 2017 से फरवरी 2018 के बीच शेष प्रकरण में क्षेत्रीय टाइगर स्ट्राइक फोर्स सागर द्वारा गिरफ्तार होकर पिछले साढ़े 3 सालों से 4 वर्षों तक की अवधि में विभिन्न जेलों में बंद थे.
पीएमटी फर्जीवाड़ा केस में छात्र को 5 साल की जेल
ग्वालियर।बहुचर्चित पीएमटी फर्जीवाड़ा केस में ग्वालियर के जीआरएमसी से निष्कासित मुरैना के छात्र अरविंद अग्निहोत्री को सीबीआई की विशेष कोर्ट ने 5 साल की सजा और 4500 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है.अरविंद अग्निहोत्री ने 2009 में आयोजित पीएमटी परीक्षा में दिल्ली के एक केंद्र में अपने स्थान पर सॉल्वर को बैठाकर यह परीक्षा पास की थी. इस मामले में अनिल यादव नामक दलाल को भी पकड़ा गया था. अरविंद मुरैना का रहने वाला है.
अपनी जगह किसी और से दिलवाई परीक्षा
आरोपी के खिलाफ सीबीआई को एक गोपनीय पत्र के जरिए शिकायत मिली थी, कि उसने सॉल्वर के जरिए पीएमटी की परीक्षा पास की है. सीबीआई ने अप्रैल 2015 में अरविंद को गिरफ्तार किया था .फिलहाल यह पता नहीं चला है कि अरविंद अग्निहोत्री के स्थान पर दिल्ली के सेंट्रल स्कूल में आयोजित परीक्षा में कौन शामिल हुआ था.सलेक्शन के बाद अरविंद को गजरा राजा मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिला था.
पुख्ता सबूतों के आधार पर उसे 24 जुलाई 2015 को कॉलेज से निष्कासित कर दिया गया था. कोर्ट का मानना था कि पीएमटी में कुछ लोगों ने संगठित तरीके से अपराध किया था. जिससे कई योग्य लोग अपना मुकाम हासिल करने से वंचित रह गए थे.