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Wedding special rituals: सिर्फ परंपरा नहीं है विवाह की रस्में, जानिये इनका वैदिक और सामाजिक महत्व

विवाह की रस्मों (hindu wedding rituals) जैसे कि केलवन की परंपरा, दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगाना, दूल्हा-दुल्हन को मंडप में नहलाना आदि सभी रस्मों के पीछे एक मान्यता है. वरमाला के महत्व को शास्त्रों में भी बताया गया है, स्वयं प्रभु श्रीराम ने का भगवान शंकर का धनुष तोड़ कर माता सीता को वरमाला पहनाई थी. आखिर इन रस्मों का क्या है महत्व जानिए पंडित शांतनु मिश्रा शास्त्री से.

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Published : Dec 7, 2021, 3:09 PM IST

Updated : Feb 7, 2022, 3:23 PM IST

Hindu wedding rituals
विवाह की रस्में

छिंदवाड़ा : हिंदू रीति रिवाज में संस्कारों का काफी महत्व है, इन्हीं में एक विवाह संस्कार है. विवाह में भी कई रस्में निभाई जाती है. भारतीय शादियों में कुछ ऐसी रस्में होती हैं, जो सिर्फ रीति-रिवाज या रस्में ही नहीं हैं, उनके कुछ वैज्ञानिक कारण और फायदे भी होते हैं. विवाह की रस्मों (hindu wedding rituals) जैसे कि केलवन या चंदन निमंत्रण की परंपरा, दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगाना, दूल्हा-दुल्हन को मंडप में नहलाने की परंपरा आदि सभी रस्मों के पीछे एक मान्यता है और इन सबका अपना एक अलग महत्व है.आखिर इन रस्मों का क्या है महत्व जानिए पंडित शांतनु मिश्रा शास्त्री से.


मंडप में दूल्हा-दुल्हन को स्नान कराना
शादी के पहले ही दूल्हा-दुल्हन को मंडप में नहलाने की परंपरा है. इसके महत्व पर पंडित शांतनु मिश्रा शास्त्री का कहना है कि शास्त्रों में मंडप में नहलाने के कोई प्रमाण तो नहीं है लेकिन विवाह के दौरान दूल्हा-दुल्हन को अक्सर मंडप में तेल चढ़ाने की प्रक्रिया से लेकर, कई पारंपरिक रिवाजों (hindu wedding rituals) से दूल्हा-दुल्हन को गुजरना पड़ता है. शादी के पहले इन सभी चीजों से निवृत होकर तैयार होने के लिए दूल्हा-दुल्हन को नहलाने का रिवाज है. हालांकि मंडप में नहलाना हर जगह रिवाज नहीं है लेकिन दूब से सिंचन करने की वैदिक परंपरा है.

विवाह की रस्में
पंडित शांतनु मिश्रा शास्त्री

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चंदन निमंत्रण या केलवन का महत्व
शादी के पहले दूल्हा-दुल्हन को केलवन या चंदन निमंत्रण की भी परंपरा है. रिश्तेदारों और दोस्तों के यहां दूल्हा-दुल्हन और कई बार परिवार समेत उन्हें भोजन कराया जाता है इसे केलवन या चंदन निमंत्रण कहते हैं.इस मामले में जानकारों शांतनु मिश्रा शास्त्री ने बताया- ऐसा माना जाता है कि दोनों किसी दूसरे परिवार के हिस्सा होने जा रहे हैं इसलिए शादी के पहले परंपरा निभाते हुए कुंवारेपन में भोजन कराकर परंपरा निभाई जाती है.

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शादी के पहले इसलिए लगाई जाती है हल्दी
शादी के पहले दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगाई जाती है. पंडित जी का कहना है कि इसका शास्त्रों में कोई प्रमाण नहीं है लेकिन हल्दी के आयुर्वेदिक प्रमाण है. हल्दी से कई तरह की बीमारियां खत्म हो जाती है, इतना ही नहीं अगर इसे चेहरे पर लगाएं तो चेहरे में निखार भी आता है, भगवान को भी हल्दी से तिलक किया जाता है.ये शुद्ध और सात्विक मानी गई है इसलिए हल्दी से शरीर के सामान्य रोग और विकार मिट जाते है.

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वरमाला का है बड़ा महत्त्व
पंडित शांतनु प्रसाद शास्त्री बताते हैं कि शादी में वरमाला के महत्व को शास्त्रों में भी बताया गया है स्वयं प्रभु श्रीराम ने का भगवान शंकर का धनुष तोड़ कर माता सीता को वरमाला पहनाई थी और बाद में शादी (shadi ke saat phere) की थी. इसलिए हर शादी में वर को धारण करने के लिए माला पहनाई जाती है.

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विवाह के रीति-रिवाज और रस्मों का जहां एक ओर वैदिक और वैज्ञानिक कारण हैं तो वहीं दूसरी ओर ये रीति-रिवाज और रस्में दूल्हा-दुल्हन के अपने तथा दूसरे के परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों से आपसी संबंध को और ज्यादा मजबूत बनाते हैं. यही सनातन धर्म की महानता और खूबसूरती है.

Last Updated : Feb 7, 2022, 3:23 PM IST

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