भोपाल।मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान ई-गवर्नेंस पर जोर दिया था. सीएम ने तत्कालीन मुख्य सचिव सचिव बीपी सिंह के साथ मिलकर प्रदेश के सभी ऑफिसों में ई गवर्नेंस के तहत सरकारी कार्यालयों में ई-ऑफिस के तहत कामकाज करना निश्चित किया था, लेकिन समय के साथ सारी व्यवस्था सुस्त होती गई. फिर जब कोरोना वायरस की दस्तक हुई. तो अब सरकार अपने आप ई-ऑफिस की तरफ बढ़ती चली जा रही है. आज के समय में हर एक छोटी मीटिंग हो या फिर कैबिनेट की बैठक सब कुछ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने लगी हैं.
देश में पहली वर्चुअल कैबिनेट बैठक
- एमपी देश का पहला राज्य बना जहां डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर वर्चुअल कैबिनेट मीटिंग्स की शुरुआत हुई.
- मंत्रिपरिषद का जो सदस्य जहां मौजूद होता है, वहीं से बैठक में शामिल होता है.
- इसके लिए सभी को लिंक मुहैया कराई जाती है.
- मीटिंग भले ही वर्चुअल हो, लेकिन सरकार के फैसले रीयल होते हैं.
- अधिकारी भी वर्चुअल मीटिंग का एमपी में हिस्सा बनने लगे हैं.
दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान साल 2018 में लालफीताशाही से मुक्ति दिलाने के लिए और सरकार के कामकाज में तेजी लाने के लिए ईगवर्नेंस, ई-ऑफिस की शुरुआत की थी.
एमपी मेंशुरु हुईवर्चुअल कैबिनेट
इसकी एक बड़ी वजह है एमपी में सबसे पहले प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारी कोरोना वायरस ने अपनी चपेट में आए. शिवराज सिंह चौहान देश के पहले सीएम बने जो कोरोना पॉजिटिव पाए गए. लेकिन इसके बावजूद सभी अधिकारी कर्मचारियों ने वर्क फ्रॉम होम के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने कामकाज को मुस्तैदी के साथ संभाला. यानी अब फाइलें अलग-अलग अधिकारियों के चेंबर में धूल नहीं खातीं. बल्कि ईमेल के जरिए तुरंत निर्णायक स्थिति में होती हैं.