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NKBC: इटारसी में बना नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर

मध्यप्रदेश में नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर (एनकेबीसी) (National Kamdhenu Breeding Centre) (NKBC) बन कर तैयार हो गया है. सेंटर का निर्माण इटारसी (Itarsi) के कीरतपुर में हुआ है. एनकेबीसी का मुख्य उद्देश्य भारतीय गौ-भैंस वंशीय नस्लों का संरक्षण एवं संवर्धन है.

National Kamdhenu Breeding Centre
नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर

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Published : Sep 14, 2021, 7:32 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के होशंगाबाद (Hoshangabad) जिले के कीरतपुर (इटारसी) (Itarsi) में नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर (एनकेबीसी) (National Kamdhenu Breeding Centre) (NKBC) का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है. केन्द्र का उद्देश्य भारतीय गौ-भैंस वंशीय नस्लों का संरक्षण एवं संवर्धन, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के साथ अनुवांशिक गुणवत्ता का उन्नयन और देशी नस्लों को विलुप्ति से बचाना है.

देश में दो नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर बनाने की स्वीकृति

अपर मुख्य सचिव जे.एन. कंसोटिया ने बताया कि भारत सरकार द्वारा देश में दो नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर (एनकेबीसी) के स्थापना की स्वीकृति दी है. उत्तर भारत में मध्यप्रदेश के कीरतपुर में और दक्षिण भारत में आंध्रप्रदेश (Andhra Pradesh) के नेल्लोर (Nellore) जिले में एनकेबीसी की स्थापना की जा रही है. प्रथम चरण में गायों की 13 नस्लें साहीवाल, गिर, कांकरेज, रेड सिंधी, राठी, थारपारकर, मालवी, निमाड़ी, केनकथा, खिलारी, हरियाणा, गंगातीरी एवं गावलाव और भैंस की चार नस्लें नीली राबी, जाफराबादी, भदावरी और मुर्रा संधारित की जाना है.

सेंटर पर विभिन्न नस्लों की गाय-भैंस हैं
उन्होंने बताया कि कीरतपुर केन्द्र पर गायों की गिर, साहीवाल, थारपरकर, निमाड़ी, मालवी, कांकरेज, रेड सिंधी, राठी एवं खिलारी नस्ल की 195 और भैंस की मुर्रा, नीली राबी, भदावरी और जाफराबादी नस्ल की 107 के साथ हरियाणा, राठी, कांकरेज, निमाड़ी, मालवी, केनकथा और जाफराबादी नस्लों के नौ सांड उपलब्ध हैं.
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राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के प्रबंध संचालक एच.बी.एस. भदौरिया ने बताया कि ब्रीडिंग सेंटर केन्द्र शासन की शत-प्रतिशत 25 करोड़ रुपए की सहायता से 270 एकड़ क्षेत्र में स्थापित किया जा रहा है. क्षेत्र में छह नवीन पशु शेड, क्वारन्टाइन शेड निर्माण के साथ छह पशु शेड का जीर्णोद्धार, एप्रोच रोड, मेनगेट सुरक्षा कक्ष, बोरवेल, हारवेस्टिंग टैंक, बायोगैस, ड्रेनेज चैनल, दाना-भूसा गोदाम, ट्यूबवेल खनन आदि किया जा चुका है.

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