भोपाल। गिर के शेरों को मध्य प्रदेश 7 साल बाद भी नहीं लाया जा सका है. गिर के शेर केंद्र सरकार के सिंह प्रोजेक्ट के तहत लाए जाने थे. सिंह को लाने के संबंध में पिछले 7 सालों से मध्य प्रदेश सरकार केंद्र और गुजरात सरकार से पत्राचार कर रही है. गिर के शेरों को मध्य प्रदेश भेजने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट आदेश दे चुका है, हालांकि गिर के शेर को लेकर वन मंत्री एक बार फिर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से अनुरोध करने जा रहे हैं.
- गुजरात सरकार की आपत्ति - शेरों की बसाहट के लिए कूनो सेंचुरी का एरिया कम है. 200 हेक्टेयर ट्रैक्टर की क्षेत्रफल को बढ़ाने की जरूरत है.
- मध्य प्रदेश सरकार का कदम - लगभग 23 परिवार कूनो वाइल्डलाइफ सेंचुरी के अंदर से हटाए गए, जो कि ज्यादातर सहरिया आदिवासियों के थे, इसके अलावा 28 गांव खाली करवाए गए और 1280 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कूनो वन्य जीव सीमांकित किया गया.
- गुजरात सरकार की आपत्ति - कूनो को नेशनल पार्क का दर्जा नहीं है, इन शेरों को नेशनल पार्क का माहौल बेहतर लगता है.
- मध्य प्रदेश सरकार का कदम- मध्य प्रदेश सरकार ने 2018 में कूनो को वाइल्ड लाइफ सेंचुरी से राष्ट्रीय उद्यान बनाकर 413 वर्ग किलोमीटर का संरक्षित क्षेत्र और बढ़ा दिया.
- गुजरात सरकार की आपत्ति - कूनो राजस्थान के रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान से सटा है. यह उद्यान बाघों का आश्रय है, इसके कारण अगर शेरों को कूनो में ले जाया गया तो बाघों के साथ उनके संघर्ष की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.
- मध्य प्रदेश सरकार का जवाब - इस आपत्ति पर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कहा गया कि एक्सपर्ट कमेटी पहले ही कह चुकी है कि यह बिंदु शेरों की शिफ्टिंग के साथ पूरे कर लिए जाएंगे.