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दिखावा बनकर रह गई कर्मचारियों की मांगों को लेकर बनी कमेटियां, अधिकतर अनुशंसाएं लंबित - कर्मचारी संगठन

1991 से लेकर 2019 तक कर्मचारियों की मांगों के समाधान को लेकर कई कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन इसके बाद भी कर्मचारी अपनी कई वर्षों पुरानी मांगों के लिए गुहार लगा रहे हैं. अब मांग पूरी नहीं होने पर कर्मचारियों ने आगामी लोकसभा चुनाव के बहिष्कार और उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.

कर्मचारी नेता

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Published : Mar 27, 2019, 8:22 AM IST

Updated : Mar 27, 2019, 10:45 AM IST

भोपाल। प्रदेश के विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारियों को अपनी मांगों के निराकरण को लेकर कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है. 1991 से 2019 तक कर्मचारियों की मांगों पर विचार करने के लिए कई कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन आज भी वे अपनी सालों पुरानी मांगों के लिए गुहार लगा रहे हैं.

साल 1991 में आईएएस सी गुप्ता की अध्यक्षता में शासन ने कार्यभारित कर्मचारियों को नियमित संवर्ग के बराबर वेतनमान और सुविधाएं देने पर विचार करने के लिए एक कमेटी बनाई थी, लेकिन इसकी भी अनुशंसा लंबित है. इसके अलावा पूर्व मुख्य सचिव ब्रह्म स्वरूप, पूर्व सचिव एके अग्रवाल, आईएएस ईश्वरदास और साल 2010 में पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई, लेकिन इनकी कई अनुशंसाएं आज भी लंबित हैं.

कर्मचारी नेता

लिपिकों की मांगों को लेकर भी 2014 में एक कमेटी बनाई गई, लेकिन उनके निराकरण को लेकर भी कोई प्रयास नहीं किए गए. 2014 के बाद 2019 में भी सरकार ने सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह की अध्यक्षता में विभिन्न वर्गों की मांगों पर विचार करने के लिए कमेटी का गठन किया, लेकिन इस पर भी कोई सुनवाई नहीं की जा रही है. कर्मचारियों का कहना है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो बहुत जल्द वे उग्र आंदोलन करने के लिए सड़कों पर उतरेंगे. इतना ही नहीं कर्मचारियों ने आगामी चुनाव में नोटा का बटन दबाने की चेतावनी भी दी है.

Last Updated : Mar 27, 2019, 10:45 AM IST

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