भोपाल.बीजेपी संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति की नई जारी सूची में पार्टी के दो कद्दावर नेताओं की गैर मौजूदगी सबसे बड़ी खबर बनी है. इनमें एक हैं केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी और दूसरे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान. दोनों नेताओं को पार्टी की सबसे पॉवरफुल समितियों से हटा (shivraj singh removal from bjp parliamentary board) दिया गया है. मध्यप्रदेश से शिवराज की (mp cm shivraj singh chouhan)जगह पूर्व केन्द्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया को प्रदेश से जगह मिली है. चुनावी साल से पहले दलित नेता को संसदीय समिति में शामिल कर पार्टी ने एक सियासी संदेश दिया है, हालांकि सियासी गलियारों में बीजेपी संसदीय बोर्ड से शिवराज सिंह चौहान की छुट्टी होने को उनके (side effect of urban election result) राजनीतिक भविष्य से जोड़कर देखा जा रहा है.
जटिया का पुर्नवास, चुनाव से पहले का संदेश: पार्टी के संसदीय बोर्ड में हुए बदलाव को क्या सीएम शिवराज के राजनीतिक भविष्य से जोड़कर देखा जाए. क्या वाकई इस फैसले से उनके राजनीतिक कद पर कोई असर पड़ेगा. यहां एक बात गौर करने वाली है कि 2013 में जब बीजेपी संसदीय बोर्ड में शिवराज शामिल हुए थे तब बाकी कई महत्वपूर्ण राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ऐसी वरीयता नहीं मिली थी. आज जब वे पार्टी की इन अहम कमेटियों में नहीं है तब उनका ही नाम नहीं बीजेपी शासित राज्य के किसी राज्य के मुख्यमंत्री को संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति में जगह नहीं मिली है.
राज्यपाल की भूमिका निभाने की चाहत रखने वाले जटिया को बड़ा मौका:संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति से सीएम शिवराज की जगह सत्यनारायण जटिया की मौजूदगी को सियासत का कौन सा संदेश माना जाए. लंबे समय से किसी राज्य में राज्यपाल की भूमिका में आने की बाट जोह रहे जटिया को पार्टी ने बड़ा मौका दिया है. वहीं चुनाव से पहले ये दलित समाज के नेता को पार्टी की सबसे पॉवरफुल कमेटी में लाने का संदेश भी यही है. ये संतुलन पहले थावरचंद गहलोत बनाए हुए थे. जानकार मानते हैं कि सीएम शिवराज का नाम कटने से के साथ ज़रुरी गौर करने की बात ये है कि फिर किस मुख्यमंत्री की नाम इस सूची में जुड़ा है. योगी आदित्यनाथ जैसे दमदार मुख्यमंत्री का नाम इस सूची में शामिल न होना ये साबित कर देता है कि सूची में नाम आना और कट जाना पॉवर गेम नहीं है. लिहाजा इसे शिवराज के भविष्य की सियासत से जोड़कर देखा जाना चाहिए.