भोपाल।शिवराज सरकार ने प्रदेश में भव्य आदिवासी सम्मेलन कराकर और पीएम मोदी को बुलाकर मास्टर स्ट्रोक मार दिया है. बड़े पैमाने पर हुए जनजातीय गौरव सम्मेलन और जननायक बिरसा मुंडा की जयंती मनाकर बीजेपी आदिवासी जन-जन तक अपनी पहुंच मजबूत कर रही है. सुदूर आदिवासी अंचल में बैठा आदिवासी भी यह जानने लगा है कि क्रांतिकारी और आदिवासियों के भगवान कहे जाने वाले बिरसा मुंडा कौन थे. राजनीति के जानकारों का भी यही मानना है कि अब 2023-24 में बीजेपी आदिवासियों के कल्याण और आदिवासी नेताओं के सम्मान का नारा लेकर है उनके बीच जाएगी. हालांकि कांग्रेस भी खुद को आदिवासियों का करीबी बताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है.
आदिवासी वोट बैंक पर सियासत तेज पीएम मोदी ने भगवान राम से जोड़ा आदिवासियों का रिश्ता
मध्य प्रदेश की तकरीबन 8 करोड़ 30 लाख आबादी में सवा 2 करोड़ आदिवासी हैं. बीजेपी और पार्टी के नेता इस बात को अच्छे से जानते हैं कि इस वोट बैंक को साध लिया तो 2023 और 2024 के चुनाव नतीजे पार्टी के मन मुताबिक ही होंगे. यही वजह है कि सोमवार को जनजातीय गौरव दिवस के अपने संबोधन में पीएम मोदी ने आदिवासियों और भगवान राम के बीच का रिश्ता बता कर उन्हें सेंटीमेंटली बीजेपी की विचारधारा से जोड़ने का काम किया. इससे पहले राम मंदिर के मुद्दे को सियासी मैदान में आजमा चुका बीजेपी फिर से सत्ता हासिल करने और आदिवासियों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने के लिए भगवान राम के नाम का सहारा लेने जा रही है, हालांकि आदिवासी नेता और कैबिनेट मंत्री बिसाहूलाल सिंह आदिवासी समुदाय और प्रभु श्री राम का नाता आदिकाल से बताते हैं और कहते हैं कि यह वोट बैंक की राजनीति के लिए नहीं कहा गया बल्कि भगवान राम का आदिवासियों के प्रति प्रेम और नाता आदिकाल से रहा है.
कमलनाथ ने की श्वेतपत्र जारी करने की मांग
मध्य प्रदेश में सोमवार को आदिवासियों के सम्मान के लिए 2 सम्मेलन बुलाए गए थे. एक भोपाल में बीजेपी का जहां बीजेपी ने 2023 और 24 के लिए अपना मास्टर स्ट्रोक खेल दिया, तो वहीं कांग्रेस का बुलाया आदिवासी सम्मेलन पिट गया. कांग्रेस नेता खाली कुर्सियों को ही भाषण सुनाते रहे. अब कांग्रेस नेता कमलनाथ ने बीजेपी सरकार से आदिवासियों के लिए बीते 17 साल में क्या किया गया इसे लेकर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है. कमलनाथ ने अपने एक ट्वीट में कहा कि विधानसभा सत्र में कांग्रेस शिवराज सरकार से आदिवासियों के लिए किए गए उसके कामों पर श्वेत पत्र मांगेगी.
किसके साथ हैं आदिवासीआपको बता दें कि बीते महीने आदिवासी दिवस के मौके पर भी कांग्रेस ने एक आदिवासी सम्मेलन किया था, जबकि जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर भी कांग्रेस ने जबलपुर में आदिवासी सम्मेलन आयोजित किया था. दूसरी तरफ सीएम शिवराज सिंह ने आदिवासियों के लिए घर तक राशन पहुंचाने की व्यवस्था कर डाली है. इन वाहनों के संचालन के लिए आदिवासी युवा हितग्राहियों को ही चाबी सौंपी गई. 89 ब्लॉकों में यह स्कीम शुरू हो गई है. खास बात यह है कि यदि इस स्कीम की कड़ाई से मॉनिटरिंग की गई तो हो सकता है राशन पाने वाला आदिवासी वर्ग बीजेपी को खुलकर वोट देकर मालामाल कर दे. पीएम मोदी ने आदिवासी समुदाय के लिए 18 योजनाओं का शुभारंभ किया है जो कि आने वाले समय में बीजेपी की आदिवासियों के बीच पैठ बढ़ाने में मदद करेंगी.
24 नवंबर को होगी कांग्रेस के ST विधायकों की बैठक
पूर्व सीएम और PCC के अध्यक्ष कमलनाथ ने इसी महीने की 24 तारीख को पार्टी की अनुसूचित जनजाति वर्ग से आने वाले विधायकों की बैठक आयोजित करने जा रही है. इसमें 22 जिलों के 89 ट्राइबल पदाधिकारी शामिल होंगे. जनजातीय समुदाय पर पकड़ ढीली ना हो इसके लिए इस कार्यक्रम में उन पर खास ध्यान दिया जाएगा. इसके साथ ही पंचायत चुनाव को लेकर भी रणनीति तय होगी.
क्या है आदिवासी सीटों का पूरा समीकरण
- एमपी के आदिवासी बहुल इलाकों में 84 विधानसभा सीटें आती हैं.
- 2013 में इस 59 सीटें भाजपा के खाते में आई थी.
- 2018 में बीजेपी ने 84 में से 34 सीटों पर कब्जा किया था.
- 2018 में कांग्रेस को 25 सीटों पर सीधा नुकसान हुआ.
- 2013 के मुकाबले 2018 में 8 सीट कम हैं.
जाहिर है बीजेपी की कोशिश है कि वो इस वोट बैंक को अपने पाले में कर ले और कांग्रेस इसी वोटबैंक को इंटैक्ट रखने की कोशिश कर रही है.