भोपाल। सुप्रीम कोर्ट बाल अपराधों पर सख्त नजर आ रहा है. बाल अपराधों के मामले में लापरवाही बरतने पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों के साथ यौन शोषण के मामलों को देखते हुए प्रदेश में बाल न्यायालय खोलने के निर्देश दिए थे. जिस पर केंद्र सरकार ने फंड भी रिलीज कर दिया. बावजूद इसके मध्य प्रदेश पॉक्सो कोर्ट खोलने में पीछे रहा.
मध्य प्रदेश में 40 पॉक्सो अदालतों की जरुरत, खुले सिर्फ 28, कैसे होगी सुनवाई ? - मध्य प्रदेश में बढ़ता बाल अपराध
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को प्रदेश में पॉक्सो कोर्ट न खोलने पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. मध्य प्रदेश में दर्ज बाल अपराध के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 40 पॉक्सो कोर्ट की जरुरत है. जबकि प्रदेश में सिर्फ 28 कोर्ट ही खुले हैं. सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2020 तक यह कोर्ट खोलने के निर्देश दिए हैं.
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माने के साथ जनवरी 2020 तक प्रदेश में पॉक्सो कोर्ट खोलने के निर्देश भी दिए हैं. मध्य प्रदेश के 52 में से 18 जिले ऐसे हैं जहां पॉक्सो एक्ट के तहत 100 से अधिक मामले दर्ज हैं. तो बाकी के जिलों में ये संख्या 2000 हैं. बाल अपराध के इन मामलों को देखते हुए प्रदेश में 40 पॉक्सो कोर्ट की जरुरत है. लेकिन प्रदेश में केवल 28 पॉक्सो कोर्ट ही चल रहे हैं.
मामले में बाल आयोग के पूर्व अध्यक्ष राघवेंद्र शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला बताता है कि सरकार बाल अपराध पर कितनी लापरवाह है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही विपक्ष ने भी कमलनाथ सरकार पर निशाना साधा. बता दें कि साल 2016 की एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों के साथ हुए अपराधों के 10 लाख 6 हजार 958 मामलें दर्ज हुए थे. जिसमें 3 लाख 6हजार 22 मामले पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज हुए. जिनमें अकेले मध्य प्रदेश में 4 हजार 717 मामले दर्ज हुए थे. ऐसे में आप इस बात का अंदाजा खुद ही लगा सकते हैं कि मध्य प्रदेश में बाल अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं. अब देखना ये है कि सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद मध्य प्रदेश सरकार कब तक प्रदेश में 500 कोर्ट खोल पाती है.