भोपाल।भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के अपार प्रेम और समर्पण का प्रतीक पर्व है. भाई दूज का त्यौहार प्रतिवर्ष कार्तिक मास की द्वितीया को मनाया जाता है. यह त्योहार दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है. भाई दूज भी रक्षाबंधन जैसा ही पर्व होता है, लेकिन इसमें भाई के हाथों में राखी नहीं बांधी जाती है. इस बार भाई दूज का त्योहार 6 नवंबर को मनाया जाएगा, भाई दूज के दिन विवाहित महिलाएं भाइयों को अपने घर पर आमंत्रित कर उनको तिलक लगाकर उन्हें भोजन कराती हैं.
भारतीय संस्कृति में भाई दूज का विशेष महत्व है. भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों की दीर्घायु होने की मंगल कामना करती हैं. इस रोज भाई की आरती उतारने और टीका करने से भाई की उम्र बढ़ती है और वह निरोगी रहता है. ज्योतिषाचार्य डॉ. राजेश शर्मा ने बताया कि भाई दूज का महत्व यम और यमी से है. भाईदूज की एक मान्यता भगवान श्री कृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा से भी जुड़ी है.
भाई दूज से जुड़ी मान्यताएं
यमराज तथा यमुना भगवान सूर्य नारायण की संतानें हैं. यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थी. वह उनसे बराबर निवेदन करती थी कि यमराज अपने इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करें. अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालते रहते थे. फिर कार्तिक शुक्ल का दिन आया जब यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उन्हें अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया. यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं. मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता पर यमुना बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है.
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उसके बाद यमराज अपनी बहन यमी यानी यमुना देवी के घर गए थे. जहां उन्होंने अपनी बहन के हाथ का स्वादिष्ट भोजन किया, जिससे यमराज बहुत प्रसन्न हुए. उसके बाद जब यमराज जाने लगे तब यमी ने उनके ललाट पर तिलक लगाया. तब यमराज ने यमी से कहा, तुमको जो चाहिए मांग लो. तब यमी ने कहा यदि आप कुछ देना ही चाहते हैं तो सिर्फ एक वरदान दीजिए कि आज के दिन जो बहन अपने भाई को इस प्रकार तिलक लगाए और उसकी अकाल मृत्यु न हो, ये वचन दीजिए. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन यम ने भी प्रसन्न होकर यमुना को वरदान दिया. यम के वरदान के मुताबिक जो भाई-बहन इस दिन एक साथ यमुना नदी में स्नान करते हैं, उन्हें सुख-समृद्धि और मुक्ति की प्राप्ति होगी. यही कारण है कि इस दिन भाई-बहन के यमुना नदी में एक साथ स्नान करने का बड़ा महत्व माना जाता है. इसके साथ ही यमुना ने अपने भाई से वचन लिया कि आज के दिन हर भाई को अपने बहन के पास जाना चाहिए. तब से ही इस पर्व की शुरुआत हो गई.
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तब से लेकर आज तक परंपरा अनुसार इस दिन सुहागिन बहनें भाईयों को न्यौता देती हैं और अपने हाथों से बना हुआ खाना खिलाकर तिलक करती है, भाई उसे आशीर्वाद देता है. साथ ही बहने अपने भाई की सेहत, सफलता और मनोकामना पूर्ति की कामना करती है.
भाई दूज का शुभ मुहूर्त