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Mp High Court News: अवैध कॉलोनियों को वैध करने का मामला, नगर निगम अधिनियम में किये संशोधन को HC में दी चुनौती

आवेदकों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से उन लोगों को नुकसान होगा, जो सरकार के सारे नियमों के साथ रेरा जैसी संस्थाओं का ना केवल पालन कर रहे हैं, बल्कि एक कॉलोनी बनाने के पहले सरकार के खजाने में टैक्स के नाम पर मोटी रकम भी जमा करते हैं.

mp high court seeks reply
अवैध कॉलोनियों को वैध करने का मामला

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Published : Aug 4, 2022, 6:23 PM IST

जबलपुर। अवैध कालोनियों को वैध करने के लिए नगर निगम अधिनियम में किये गये संशोधन को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. नियमों में संधोधन को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की बेंच ने याचिका को स्वीकार करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.

यह है मामला:यह मामला नागरिक उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे व रजत भार्गव की ओर से दायर किया गया था. जिसमें अवैध कॉलोनियों को वैध करने के नगर निगम अधिनियम संशोधन को चुनौती दी गई थी. याचिका में कहा गया है कि सरकार के इस कदम से न केवल शहर में अवैध कॉलोनियों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि अव्यवस्था भी बढ़ेगी. आवेदकों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से उन लोगों को नुकसान होगा, जो सरकार के सारे नियमों के साथ रेरा जैसी संस्थाओं का ना केवल पालन कर रहे हैं, बल्कि एक कॉलोनी बनाने के पहले सरकार के खजाने में टैक्स के नाम पर मोटी रकम भी जमा करते हैं. सरकार के इस कदम से ऐसी अवैध कालोनियां की संख्या बढ़ेगी, जिनमें ना तो बिजली की व्यवस्था होगी, ना नाली की व्यवस्था होगी, ना साफ पीने का पानी होगा. जिसका खामियाजा आने वाले दिनों में जनता को ही भुगतना पड़ेगा.

2021 में हुआ था संशोधन: मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने साल 2021 में एक नोटिफिकेशन जारी कर यह कहा था कि मध्यप्रदेश csx तमाम अवैध कॉलोनी को वैध कर दिया जाएगा. सरकार के इस कदम से जहां पर अवैध कॉलोनी में रहने वाले लोगों में खुशी है, तो वहीं दूसरी ओर उन कॉलोनाइजर और बिल्डरों को नुकसान पहुंचेगा जो सरकार के नियम कानूनों का पालन करते हुए कई तरह के टैक्स चुकाने के बाद कॉलोनियां डेवलप करते हैं. इस मामले में बुधवार को हुई सुनवाई बाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के विधि एवं विधायी विभाग के सचिव व नगरीय प्रशासन विभाग को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.

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