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क्या हेमंत सरकार में पिछलग्गू की भूमिका में है कांग्रेस, प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर से एक्सक्लूसिव बातचीत - Ranchi news

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Published : Jun 10, 2022, 5:37 PM IST

रांची: झारखंड में अबतक कांग्रेस अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकी है. पिछले 22 वर्षों से यह राष्ट्रीय पार्टी किसी न किसी रूप में क्षेत्रीय पार्टियों के पीछे खड़ी दिखती आ रही है. संख्या बल के लिहाज से कांग्रेस के लिए साल 2019 का विधानसभा चुनाव सबसे ज्यादा मुफिद साबित हुआ. 16 विधायकों की जीत के बाद जेवीएम के बंधु तिर्की और प्रदीप यादव के शामिल होने से पार्टी का कद जरूर बढ़ा. ऊपर से प्रदीप बलमुचू और सुखदेव भगत सरीके पूर्व पार्टी अध्यक्षों की वापसी ने संगठन को और ज्यादा मजबूती दी. लेकिन जब बात सरकार में दखल की होती है तो कांग्रेस कमजोर दिखने लगती है. क्या सत्ता में रहने के बावजूद एक राष्ट्रीय पार्टी पिछलग्गू की भूमिका में है. प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश ठाकुर से कई मुद्दों पर बातचीत की हमारे ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने. राजेश ठाकुर ने हर सवालों का जवाब तो दिया लेकिन उसमें कॉन्फिडेंस की कमी दिखी. राज्यसभा चुनाव में दावेदारी के बावजूद झामुमो की ओर से प्रत्याशी उतारे जाने के सवाल पर उन्होंने मांडर उपचुनाव को लेकर दिखी गठबंधन की एकता को ज्यादा तव्वजो दिया. पिछले कई वर्षों से कार्यसमिति का गठन नहीं होने सवाल पर उन्होंने कहा कि यह प्रक्रियाधीन है और जल्द नतीजा दिखेगा. सरकार बनने पर बेरोजगारी भत्ता या परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के सवाल पर उन्होंने राजनीति की चादर डालने की कोशिश की. तपाक से कह बैठे कि मोदी जी ने भी रोजगार दिलाने की बात कही थी. क्या हुआ उसका. कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय के दवाब के बावजूद सरकार चलाने के लिए अबतक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम नहीं बनाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस दिशा में काम हो रहा है. एक समन्वय समिति का गठन हो चुका है. जल्द ही एजेंडा भी तय कर लिया जाएगा. सबसे खास बात है कि राज्य के बोर्ड और निगमों में अध्यक्षों का मनोनयन नहीं किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह कोई बड़ा मसला नहीं है. गिनती के पद हैं जिसके के लिए कुछ लोग राजनीति कर रहे हैं. यह पूछे जाने पर कि अगर उर्दू को क्षेत्रीय भाषा का दर्जा मिल सकता है तो हिन्दी को क्यों नहीं. इस सवाल पर उन्होंने गोलमोल जवाब दिया. कुल मिलाकर कहें तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर के बयान में कांफिडेंस की कमी दिखी. आखिर इसकी क्या वजह हो सकती है. इसका जवाब हर कांग्रेसी के पास है लेकिन सभी जानते हैं कि बोलने से कुछ नहीं मिलने वाला.

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