चाईबासाः जयप्रकाश नारायण के जन्मदिन की अवसर पर 11 अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना की नींव रखी थी, जिसके तहत सांसदों को एक-एक गांव गोद लेकर उसका समुचित विकास किया जाना था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद आदर्श ग्राम योजना को लेकर काफी गंभीर थे. मगर सांसदों ने इसमें कोई रुचि नहीं ली. नतीजतन यह हुआ कि 5 साल बीत जाने के बाद भी पश्चिम सिंहभूम के पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा के गोद लिए गए गांव अब तक आदर्श बन सकी है.
गांव में बस एक जल मीनार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों को साकार करने के लिए पश्चिम सिंहभूम के पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा ने चक्रधरपुर के केरा गांव को गोद लिया था. पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुवा ने पीएम के सपने को साकार करने का भी प्रयास किया. लेकिन गांव के ग्रामीण उनके काम से खुश नजर नही आते हैं. सांसद के गोद लिए केरा गांव में बिजली तो पहुंचाई गई है, लेकिन गांव में बिजली 24 घंटे में मात्र 8 घंटे ही रहती है. ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति करवाने को लेकर गांव के सैकड़ों घरों के लिए मात्र एक सोलर जल मीनार बनाई गई है. आलम यह है कि पानी के लिए भी ग्रामीणों को घंटों इंतजार करना पड़ता है. जिस कारण कई ग्रामीण महिलाएं गांव के बगल नदी, तालाब के भी पानी का इस्तेमाल किया करती हैं. कुछ यही हाल स्वास्थ्य सेवा का भी है. गांव में एक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर उपस्वास्थ्य केंद्र तो है लेकिन डॉक्टर नही आते हैं. बड़े अक्षरों में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में आने वाले डॉक्टरों और कार्य दिवस की भी जानकारी दी गई है. इसके अलावा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में दो एएनएम आती हैं वो भी सप्ताह दो या दिन दिन के लिए, रोजाना यह यह हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर भी नही खोला जाता है.
बेरोजगारी के कारण युवाओं का पलायन
रोजगार की बात की जाए तो यहां के 50% से अधिक युवक-युवतियां गांव से पलायन कर चुके हैं, कुछ गांव में ही भटक रहे हैं. इस आदर्श गांव के युवक-युवतियों के रोजगार के लिए कोई ट्रेनिंग सेंटर की व्यवस्था नहीं है जहां बेरोजगार युवक-युवतियों रोजगार की ट्रेनिंग लेकर अपना रोजगार स्थापित कर सकें. गांव में मनरेगा कार्यालय है परंतु गांव के ग्रामीणों को 100 दिन का रोजगार भी उपलब्ध नहीं कराया जा सका है. मनरेगा कार्यालय वर्षो से बंद पड़ा हुआ है जिसे गांव के ही टेंट व्यवसायी अपने निजी कार्य के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. शिक्षा के क्षेत्र में गांव में उड़िया मध्य विद्यालय भी है लेकिन सरकारी स्कूल होने के कारण शिक्षकों की कमी है. ग्रामीणों की माने तो स्कूल में पढ़ाई भी सही ढंग से नहीं होती है यह उड़िया मध्य विद्यालय 1912 में स्थापित किया गया था. जबकि इस विद्यालय में उड़िया के 9 शिक्षक हैं ना पाठ्यक्रम और अब उड़िया की पढ़ाई भी पूरी तरह से ठप हो गई है. गांव का यह उड़िया मध्य विद्यालय नाम का ही मात्र उड़िया रह गया है. स्कूल की चारदीवारी तोड़ दी गई है और अब तक इसका निर्माण कार्य नहीं कराया जा सका है. इन तस्वीरों को देखकर आप साफ अंदाजा लगा सकते हैं कि आदर्श ग्राम योजना की जमीनी हकीकत क्या होगी.
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गांव में है बैंक और पोस्ट ऑफिस