चाईबासा: झारखंड में धर्मांतरण की घटनाएं बहुत तेजी से बढ़ रही है, इसे रोकने के लिए कई संगठन क्षेत्र में काम भी कर रहे हैं. इसके बावजूद धर्म परिवर्तन की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही है. ताजा मामला कुमारडुंगी प्रखंड के खड़बंध गांव का है. खड़बंध गांव के लालगढ़ क्षेत्र में 15 परिवारों ने ईसाई धर्म में धर्मांतरण कर लिए हैं (Tribal families conversion in Chaibasa).
चाईबासा में 15 आदिवासी परिवारों ने किया धर्म परिवर्तन, ग्रामीणों ने किया सामाजिक बहिष्कार, जंगल जाने पर भी लगाई रोक
चाईबासा में धर्मांतरण का मामला सामने आया है (Tribal families conversion in Chaibasa), जहां 15 आदिवासी परिवारों ने धर्म परिवर्तन कर ईसाई धर्म को अपना लिया है. जिसके बाद ग्रामीणों ने उन परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करते हुए उनके जंगल जाने पर भी रोक लगा दी है. इसके अलावा भी उन्हें कई चीजों की मनाही की गई है.
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खड़बंध गांव के लालगढ़ क्षेत्र में 15 परिवारों के धर्मांतरण को लेकर ग्रामीणों ने बताया कि सबसे पहले गांव के दो परिवारों ने इसाई धर्म में धर्मांतरण किया. उसके बाद उन्होंने धीरे धीरे आसपास के 13 परिवारों को लालच देकर अपनी चपेट में ले लिया है. इसी के साथ वर्तमान खड़बंध गांव में कुल 15 परिवार ईसाई धर्म में चले गए हैं. इस तरह से गांव में तेजी से धर्मांतरण का कार्य चल रहा है.
गांव में हुई मीटिंग:गांव में तेजी बढ़ते से धर्म परिवर्तन की घटनाओं को रोकने के लिए रविवार के दिन खड़बंध गांव के ग्रामीणों ने क्षेत्रीय मुंडा श्याम पिंगुवा एवं मानकी कृष्णा पिंगुवा की अध्यक्षता में ग्राम सभा का आयोजन किया गया. ग्रामसभा में गांव के लोगों ने धर्म परिवर्तन ना कर अपना सरना धर्म में ही रहने की सहमति बनाई है. इसके साथ ही अनुपस्थित लोगों को ग्राम सभा के माध्यम से धर्म परिवर्तन ना करने की अपील की गई.
सभा में लिए गए कुछ अहम फैसले: ग्रामीणों ने रविवार की सभा में धर्मांतरण के मामलों को रोकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं. ग्रामीणों ने वर्तमान में धर्मांतरण के परिवार का पूरी तरह से सामाजिक बहिष्कार कर दिया है. ग्रामीणों ने धर्म परिवर्तन कर ईसाई धर्म में जाने वाले इन 15 परिवार के किसी भी सुख या दुख कार्य में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया है. इसके साथ ही इन लोगों के साथ किसी तरह का बातचीत नहीं करने का भी निर्णय लिया है. ईसाई धर्म में परिवर्तित लोगों को पूजा स्थलो में जाने से रोक लगा दी गई है. उन्होंने कहा कि वन हमारे समाज के लिए एक पूजा स्थल है. इसलिए धर्म परिवर्तित हुए लोगों को जंगलों से पत्ता, दातून या लकड़ी लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
दस्तावेज में आदिवासी होने का दावा करने पर रोक: इसके साथ ही लोगों की भीड़ जमने वाले स्थान पर उन्हें शामिल करने से मना किया गया है. धर्म परिवर्तन हुए लोगों के परिजनों को श्मशान घाट में भी जगह नहीं दिए जाने का निर्णय लिया गया है. इसके अलावा किसी प्रकार के दस्तावेज में आदिवासी होने का दावा करने पर रोक लगा दी गई है. हालांकि, रविवार को आयोजित बैठक में ईसाई धर्म में धर्मांतरण करने वालों के परिजन उपस्थित नहीं थे.