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Chaibasa Hit And Run Case: चाईबासा कोर्ट के फैसले से मृतकों के परिजन असंतुष्ट, कहा- कांग्रेस नेता सौरभ अग्रवाल को मिले आजीवन कारावास की सजा - चाईबासा न्यूज

हिट एंंड रन मामले में चाईबासा जिला सत्र न्यायालय द्वारा दोषी कांग्रेस नेता सौरभ अग्रवाल को आठ वर्ष कैद की सजा सुनाई गई है, लेकिन कोर्ट के फैसले से पीड़ित परिवार संतुष्ट नहीं हैं. पीड़ित परिवार का कहना है कि हादसे में सात लोगों की जान गई थी. इसलिए आरोपी कांग्रेस नेता को कम से कम आजीवन कारावास की सजा होनी चाहिए थी.

Chaibasa Court Decision In Hit And Run Case
Hit And Run Case Affected Families Giving Information

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Published : Jan 31, 2023, 3:58 PM IST

चाईबासा:चक्रधरपुर के पास बहुचर्चित हिट एंड रन केस में पांच वर्ष बाद आए कोर्ट के फैसले से मृतकों के परिजन संतुष्ट नहीं हैं. कार से कुचल कर सात लोगों को मौत की नींद सुला देने के आरोपी कांग्रेस नेता सौरभ अग्रवाल को महज आठ साल कारावास की सजा को मृतकों के परिजनों ने अपने साथ अन्याय बताया है. साथ ही मुजरिम को कम से कम आजीवन कारावास की सजा देने की मांग की. ज्ञात हो कि तीन मार्च 2018 को सौरभ अग्रवाल ने चक्रधरपुर के बोड़दा गांव के पास एरे बोंगा (पूजा) कर रहे सात लोगों को कार से कुचल कर मार डाला था. मृतकों में चार लोग गोइलकेरा प्रखंड के जामजुई और लोसोडइकिर गांव के थे.

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सोहराय हेंब्रम ने हादसे में परिवार के तीन सदस्यों को खो दिया थाः इस घटना में बाल-बाल बचे सोहराय हेंब्रम ने अपने परिवार के तीन सदस्यों को खो दिया था. सोहराय के भाई सोमा हेंब्रम और दुगे हेंब्रम की हादसे में मौत हो गई थी. दर्दनाक हादसे को याद करते हुए सोहराय आज भी सिहर उठते हैं. उन्होंने बताया कि उनकी बुआ डोली हेंब्रम की शादी मंझारी के जोजोदुई गांव के चमन पिंगुआ के साथ तय हुई थी. विवाह पूर्व रस्म अदायगी के तहत दोनों पक्षों के करीब 20 लोग बोड़दा गांव के पास पूजा कर रहे थे. तभी अनियंत्रित तेज रफ्तार कार ने 15 लोगों को कुचल दिया था. जिससे वहां कोहराम मच गया था. घटना में सही सलामत बचे सोहराय ने ही सौरभ अग्रवाल को दबोच लिया था. उसने बताया कि मुजरिम को चाईबासा के जिला सत्र न्यायाधीश विश्वनाथ शुक्ला की अदालत से आठ साल कैद की सजा सुनाए जाने की जानकारी मिली है, लेकिन मैं संतुष्ट नहीं हूं. मुजरिम को कम से कम आजीवन कारावास की सजा होनी चाहिए.

पति को याद कर रोने लगी पालो:हादसे में जान गंवाने वाले जामजुई के ही सुखलाल हेंब्रम की पत्नी पालो कुई से जब सजा के बाबत पूछा गया तो पति को याद कर वह रोने लगी. उसने कहा कि हादसे के बाद उसकी दुनिया उजड़ गई है. गोइलकेरा के ही लोसोडइकिर के मोटाय बोदरा की भी कार से कुचलने के कारण मौत हो गई थी. पेशे से दिउरी मोटाय बोदरा एरे बोंगा संपन्न कराने के लिए लड़की वालों की तरफ से बोड़दा गए थे, लेकिन वापस उनकी लाश ही गांव लौटी.

मुआवजे के नाम पर मिला केवल 20 हजार:मृतकों के परिजनों को घटना के करीब पांच साल बाद भी मुआवजा नहीं मिला है. हादसे के बाद अंचल कार्यालय से पारिवारिक लाभ योजना के तहत केवल 20-20 हजार रुपए दिए गए थे. कार से कुचले जाने के कारण जिनकी मौत हुई थी वे सभी परिवार के कमाऊ सदस्य थे. सोमा और दुगे हेंब्रम के छोटे भाई पांडा हेंब्रम ने बताया कि दर्दनाक हादसे के बाद लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेता उनके घर पहुंचे थे और मुआवजे को लेकर आश्वासन भी दिया था, लेकिन फिर किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली. मृतकों में सोमा हेंब्रम, दुगे हेंब्रम, सुखलाल हेंब्रम और मोटाय बोदरा का परिवार तंगहाली की जिंदगी बसर कर रहा है.

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